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मन हंस
मन हंस हमारी ले शिक्षा हितकारी ॥ टेक ॥
श्री भगवान चरण पिजरें बसि, तजि
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कुमति कागली सौं, मति राचौ, कीजे प्रीत सुमति हंसी सौं,
॥
गुरु
के वचन विमल मोती चुग, है हैं सुखी सीख सुधि राखे,
महाकवि भूधरदास :
विषयन की यारी ॥
मन हंस हमारी ॥
ना वह जाता तिहारी । बुध हंसन की प्यारी ।। || मन हंस हमारी ॥
दुख जल पूरित खारी ।
काहै को सेवत भव झीलर, निज बल पंख पसारि उड़ोकिन, हो सरवर चारी ।।
|| मन हंस हमारी
क्यों निज बान बिसारी । 'भूधर' भूले ख्वारी ॥
॥ मन हंस हमारी ॥
भूधरदास