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________________ महाकवि भूधरदास : सन्त साहित्य की सर्जना का एक स्रोत भक्ति आन्दोलन भी है। 'सन्त काव्य में जिस भक्ति के दर्शन हमें होते हैं ; उसकी प्रेरणा उसे महाराष्ट्र के वारकरी सम्प्रदाय से भी मिली है। इसी का समर्थन करते हुए डॉ. रामकुमार वर्मा का कथन है कि "उत्तरी भारत में सन्त सम्प्रदाय का जो उत्थान वैष्णव भक्ति को लेकर हत्या, उसका पूर्वार्द्ध महाराष्ट्र में निकल वारकरी सम्प्रदाय) के सन्तों द्वारा प्रस्तुत हो चुका था।" डॉ. वर्मा के अनुसार'. विठ्ठल की आन्तरिक उपासना के तीन उपकरण थे - 1 भक्ति का प्रेम तत्त्व 2 नाथ सम्प्रदाय का चिन्तन और 3 मसलमानी प्रभाव से मर्ति उपासना का वर्जित वातावरण । इसमें कोई सन्देह नहीं कि सन्त साहित्य की सर्जना में इनकी प्रेरणा का प्रमुख स्थान है। *साथ ही उनका यह कथन भी द्रष्टव्य है कि - "भक्ति आन्दोलन के महासमर में भी योग का दीपक सन्तों का विश्राम स्थल बना रहा । नाथ सम्प्रदाय की आचार निष्ठा, विवेकसम्पन्नता, अंधविश्वासों को तोड़ने की उग्रता एंव परम्परागत कर्मकाण्डों की निरर्थकता सन्त सम्प्रदाय में सीधी चली आई।"5 डॉ. ताराचन्द एवं डॉ. हमायू कबीर' जैसे कुछ विद्वान सन्त काव्य के प्रादुर्भाव का कारण एक मात्र इस्लाम को मानते हैं किन्तु, श्री रामधारीसिंह दिनकर का मत है कि - "जिसने सिद्धों के पद पढ़े हैं; वह त्रिकाल में भी नहीं मान सकता है कि नानक, कबीर और दाद के प्रादुर्भाव का एक मात्र कारण इस्लाम था। सन्त साहित्य के मर्मज्ञ डॉ, हजारी प्रसाद द्विवेदी और डॉ. रामकुमार वर्मा - २० दोनों ही सन्त काव्य का सम्बन्ध बौद्धों, सिद्धों एवं नाथों की वाणियों 1. सन्त काव्य में परोध सत्ता का स्वरूप-डॉ. बाबूराव जोशी पृष्ठ 44 2. सन्त काव्य में परोध सत्ता का स्वरूप-डॉ. बाबूराव जोशी पृष्ठ 44 3. हिन्दी साहित्य (द्वितीय संस्करण) डॉ. रामकुमार धर्मा सम्पादक घरिन्द्र वर्मा एवं ___ अजेश्वर वर्मा पृष्ठ 192 4, सन्त काव्य में परोक्ष सत्ता का स्वरूप-- डॉ. बाबूराव जोशी पृष्ठ 44 5. हिन्दी साहित्य (द्वितीय संस्करण) डॉ. रामकुमार वर्मा सम्पादक धीरेन्द्र वर्मा एवं बजेश्वर वर्मा पृष्ठ 204 6. इन्फल्यूएस ऑफ इस्लाम आन इण्डियन कल्चर-डॉ. ताराचन्द 7, अवर हेरीटेज- डॉ. हमायू कबीर 8. संस्कृति के चार अध्याय-- रामधारीसिंह दिनकर पृष्ठ 19 9. हिन्दी साहित्य की भूमिका- हजारीप्रसाद द्विवेदी सन् 1944 पृष्ठ 31 10. हिन्दी साहित्य-डॉ. रामकुमार वर्मा पृष्ठ 189
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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