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मदनजुद्ध काव्य एवं राष्ट्र की आर्थिक समृद्धि, राजनैतिक स्थिरता, कला एवं शिल्प की विकसनशीलता तथा देश के खनिज एवं उत्पादन द्रव्यों के प्रतीक होते हैं । कवि ने प्रसंगानुकूल सोने, मोती एवं रत्नजटित आभूषणों तथा वस्त्रों के उल्लेख किए हैं जो क्रमशः निम्न प्रकार हैंआभूषण
महिलाएं रमजाटत हार, मोती की माला, स्वकुण्डल एव र धारण करती थीं ( 3912, 40/2 )| ___ वस्त्र वर्णन में कवि ने असाधारण वस्त्रों के लिए पटंबर ( 41/1 ) का उल्लेख किया है । अन्यत्र उन्होंने महिलाओं के पहनने के चीर ( 39/1 ) और कंचुकी ( 41/1 ) शब्द का उल्लेख किया है, जो कि राजस्थानी पोशाक का प्रभाव
छाता
आभिजात्य वर्ग के परुष छाते का प्रयोग भी करते थे । कवि के अनुसार जब मदन अपनी सेना के साथ विवेक पर आक्रमण करने के लिए चला, तो उसने अपने सिर पर अर्धमादु ( छाता ) धारण कर लिया ( 4414 ) । लोक-व्यवहार
मयणजुद्ध काव्य का अध्ययन करने से विदित होता है कि कवि बचराज का ज्ञान अत्यन्त व्यापक था । वे आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ लोक व्यवहार से भी सुपरिचित थे । उसका उन्होंने यथा-स्थान उचित प्रयोग किया है । पान का बीड़ा देना
भारतीय संस्कृति में प्राचीन परम्परा रही है कि राजा की प्रतिज्ञा को पूर्ण कर देने की घोषणा करने वाले पुरुष को सभा के मध्य पान का बीड़ा दिया जाता था । प्रस्तुत कृति में भी राजामोह ने अपने प्रबल शत्रु विवेक को नष्ट करने के लिए राजसभा बलाई । तब मन्मथ ने उठकर घोषणा की कि मैं आज ही उसे बन्दी बनाकर आपके समक्ष उपस्थित करूंगा । इस बात से प्रसत्र होकर राजा मोह ने उसे अपने हाथों से पान का बीड़ा दिया ( 35 )। प्रणाम एवं चरण-स्पर्श
मयणजुद्ध काव्य में प्राचीन भारतीय संस्कृति के अनुरूप ही श्रेष्ठ एवं ज्येष्ठ व्यक्तियों के प्रति आदर और सम्मान की भावना दर्शनीय है ।।
राजामोह का कपट नामक दून जब उससे मिलने आता है तब उसे सिर झुकाकर जहारु ( प्रणाम ) करता है ( 21/1 )।
इसी पकार राजामोह का पुत्र, मदन जब तीनों लोकों को अपने वशीभूत करके