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________________ प्रस्तावना - लौटता है, तो सर्वप्रथम अपने माता-पिता के चरणों का स्पर्श करता हैं । माता-पिता भी मिर-चूमकर उसे आशीर्वाद देते हैं ( 58 ) । आरती उतारना यह भी आर्य-संस्कृति है कि पतिव्रता नारियां अपने वीर पति को तिलक लगाकर और माला पहना कर युद्ध-क्षेत्र के लिए विदा करनी हैं और विजयश्री पान कर वापिस लौटने पर आरती उतारती हैं । मदन के युद्ध-भूमि से वापिस आने पर आरती उतारने का प्रसंग द्रष्टव्य हैं ( 59/2 ) बधावणा ( विजय की बधाई ) मदन को विजयश्री प्राप्त होने के उपलक्ष में नट-भाट जय-जयकार करते हैं। एवं उसकी माता अपने पुत्र के यशस्वी होने पर वधावणा ( विजय की बधाइयाँ ) करती हैं (58)। शकुन-अपशकुन कवि ने किसी कार्य को करने से पूर्व उसकी सफलता या असफलता को शकुन एवं अपशकुन के माध्यम से घोषित किया है। शकुन ऋषभदेव ने जब युद्ध के लिए प्रयाण किया तो शुभ चिह्नों को प्रकट करने वाले शुभ शकुनों का वर्णन कवि ने निम्न प्रकार किया है-- प्रथम शकुन में प्रभु के सम्मुख नाथा हुआ उज्ज्वल वृषभ आ गया । आदिनाथ का चिह्न भी वृषभ है । नाथा हुआ वृषभ से अभिप्राय है वश में रहने वाले 1 दूसरा शकुन, प्रमुख वाद्यों की मधुर झंकार होना और तीसरा, दाहिनी ओर तरुणी नारियों द्वारा मधुर स्वर में गीत गाना । इन शुभ शकुनों के माध्यम से आदिश्वर प्रभु को अपनी प्रथम मंजिल में ही विजय की सूचना प्राप्त हो गई । चौथा शकुन, पूर्ण जल से भरा हुआ कलश हाथों में लिए हुए सौभाग्यवती नारी का सामने मिलना । यह शकुन कार्य की पूर्ण सफलता को व्यक्त करता है । पाँचवां शकुन, दीपक की ज्योति को अपने सामने जलते हुए देखना । यह जगमगाते हुए यश को प्रकट करता है । छठवां शकुन, अनुपम सुरभी ( गायों ) से दूध निकालते हुए ग्वालों को देखा । इस प्रकार की गायों को देखना समृद्धि का सूचक है। सातवां शकुन, किसी राजा को तलवार लिए हुए प्रनोली ( गली ) में प्रवेश करते हुए देखा । यह शकुन प्रभुत्व को दर्शाता है । आठवें शकुन में. आम्र वृक्ष पर बैंठकर कोकिल को बोलते हुए सुना । नौवाँ, नेवला युगल को सर्प के ऊपर चढ़ा देखा । दसवाँ, दही से भरे हुए पात्र को लिए हुए ग्वालिनों का सम्मुख आना । ग्यारहवां शकुन, अपनी पूंछ रूपी चँवर सिर पर रखे हुए केहरी ( सिंह ) को गरजने
SR No.090267
Book TitleMadanjuddh Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuchraj Mahakavi, Vidyavati Jain
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size3 MB
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