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________________ ८ J मदनपराजय मकरध्वजने ज्यों ही मोहकी यह बात सुनी उसे अत्यन्त आश्वर्य हुआ। वह मोहसे कहने लगा मोह, यह तो बतलाओ, मोक्षपुरमें किसकी कन्या है और उसकी रूप राशि किस प्रकारकी है, जिसके साथ जिनराजका विवाह होने जा रहा है ? *४ भ्रम मोहोऽवदत्-हे देव, तस्मिन् मोक्षपुरे सिद्धसेनतनुआ मुक्तिनामाऽसि सुन्दरी, शिखिगल निभतीलयमुनाजल निभमधुकरकुल सेवितसुरभिकुसुमनिचयनिचित मृदुधनकुटिलशिर सिजा, उदितषोडशकलापरिपूर्ण शशध एससिभवदन बिम्बा, त्रिवशेन्द्रप्रचण्ड भुजदण्डसज्जीकृत वक्र कोदण्डसश्शा लतिका विकसितचंचल नीलोत्पलदलस्पद्धिविशाललोचना, निजधतिविस्फुरदमल सुवर्णमुक्ताफलभूषण विभूषित ललिततिलक कुसुमसमानमासिकाचा अथिति ) स्मितविराजमान बिम्बाधरा, नानाविषेन्द्रनीलहीरक माणिक्य रत्न वचितमनोहरोज्ज्वलवतुं लभुक्ताफलहा रलम्बमानालङ, कुतरे - खात्रय मण्डित कम्बुषद् (म्बु) ग्रीवा, प्रभिनवथरचम्पक कुसुमशुभतरहुतकनकरुचिनिभगौरवर्णाङ्गा (ङ्गी), प्रभिनवशिरीषदामोपमबाहुलतिका, प्रथमयौवनो ड्रिलकर्कशस्तन फलशभरनमितक्षाममध्या । इत्यादिनाभिजघनजानु गुल्फचर रगतललावष्यलक्षणोपेतायाः सिद्धनाया रूपवर्णनं कृत्वा जिनं प्रति दयानामदूतिकया यथा द्वयोविवाह्घटना भवति तयोपायं (यः) सुमार (घोड ) स्ति । A - ↑ एवं तस्य मोहस्य वचनमाकर्ण्य विषयव्याप्तो भूत्वा मकरध्वजोऽभणत्-है मोह, तदद्य संग्रामे जिनेश्वरं जित्वा सिद्धङ्गनापरिणयनं यद्यहं न करोमि तत् स्वं नाम त्यजामि ।
SR No.090266
Book TitleMadan Parajay
Original Sutra AuthorNagdev
AuthorLalbahaddur Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size3 MB
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