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वर्णों का लिंग पुल्लिंग ( सज्ञक ) है |
वर्ण के लिंग
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..... इन वर्गों का लिंग स्त्रीलिंग है ।
इ ऋ ऋ लृ लृ ए अः ध भ म र ह द ज ग ड न-इनका नपुंसक लिंग है ।
लघु विद्यानुवाद
ध्वनि (उच्चार) के वर, मन्त्र शास्त्रानुसार
ब्राह्मण वर्णं सज्ञक
क्षत्रिय वर्ण सज्ञक
वैश्य वर्ण सज्ञक
शूद्र वर्ण सज्ञक प्रयोग
स्वर और ऊष्म ध्वनि
अन्तस्थ और क वर्ग ध्वनि
च वर्ग और प वर्ग ध्वनि
ट वर्ग, त वर्ग ध्वनि
वश्य आकर्षण और उच्चाटन मे
मारण मे स्तम्भन, विद्वेषण और मोहन मे शान्ति और पौष्टिक मे
मन्त्र के आखिर मे 'स्वाहा' शब्द रहता है । आत्मा की प्रान्तरिक शान्ति दृढ करने वाला है । ध्वनि मे ।
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स्वाहा- स्त्रीलिंग
वषट्, फट् स्वाहा - पुल्लिंग नमः - नपुसकलिंग
फट् का प्रयोग
नम का प्रयोग वषट् का प्रयोग
यह शब्द पाप नाशक, मङ्गलकारक तथा मन्त्र को शक्तिशाली करने वाले अन्तिम
उन वर्गों के इस प्रकार लिंग माने गये है ।
बीजाक्षरों का वर्णन
ॐ प्ररणव, ध्रुव ब्रह्मवीज, तेजोबीज, वा ॐ तेजोवीज, ऐ- वाग्भव वीज,
ह-गगन वीज