________________ लघुविद्यानुवाद 647 नग्न होकर, छाया पडने नही देवे, घर लाकर, कपूर कस्तुरी, केशर, के साथ अपने पास रखना, राजाप्रजा सर्व वश मे होते है, सर्व कार्य की सिद्धि होती है। जिसके हाथ मे बाधे, उसका वेलाज्वर, तीजारो ज्वर आदिक नष्ट होते है और जिसको मक्खन के साथ खाने को देवे वह वश में होता है। // 0 // तार ताम्र सुवर्ण च इदु अके पोडशभी। पुण्यार्के घटिता मुद्रा दृढ दारिद्र नाशिनी। 1 रती सोना, 12 रती ताबा, 16 रती चादी, सब मिला ले / 26 रती हुया, इनकी अगूठी बनवावे रविवार पुष्प नक्षत्र के योग मे, उसी रोज बनवाना, उसो रोज पार्श्व प्रभु का पचामृत अभिषेक करके उसमे वह अगुठी धोकर, याने गन्धोदक से धोकर धून खेवे, फिर अगुठे के पास वाली तर्जनी अगुली मे पहने तो तीव्र दरिद्र का नाश होता है, लक्ष्मी का लाभ होता है। अगुठी जमणे हाथ मे पहनना चाहिए। भोजन करते समय अगुठी को निकाल देना, फिर पहन लेना / ध्यान रहे उसी रोज अगुठी वने उसो रोज अगुली मे पहन लेना चाहिये। भक्तामर जी के प्रथम काव्य के मत्र का 108 बार जप करे / बिल्ली की ऊपर की दाढ और कुत्त की नीचे की दाढ, को भक्तामर के काव्य का नम्बर वाला मन से मत्रित करके शत्रु के घर मे गाड देने से शत्रु के घर में महान उत्तात होता है। सफेद सरमो, सफेद चन्दन, उपलेट ( ) वच तथा कपूर, इन मवको दमरा रविपुष्य के दिन इकट्ठा करके गोली बनाकर रक्खे, जब जरूरत पड़े तब उस गोनो को घिसकर तिला करे तो दष्टि दोष का नाश होता है। पशुप्रो के प्राग्न में अजन करने से प्टिदोष दूर होता है। विदेश मनु 1107 मेने में पानी nifra - प्रमाणे रन माम". TARI " S