________________ लघुविद्यानुवाद कंठ सेलुमा मूलं करे वध्वापीत ज्वरं नाशयति / श्वेत कटाइ मूलं पुष्प नक्षत्रे उत्पाटयेत् एक वर्ण गोक्षिरेण सहपिवेत वव्यायापुत्रो भवति / पलास मूलं खारं हरिताल चर्ण, प्रलेपयेत् रोमनाशयति / जातो मूलं तंदुलोदकेन, सहपिवेत्, वातज्वरं नाशयति / प्रात्मश्रुक रण स्त्रिया वामपादं लिप्यतेस शीध्र वशी भवति / // 0 // अथलजालु कल्प शनिवार सध्या को जहा छुइमुइ (लजालु) का पेड हो वहा जाकर एक मुट्ठी चावल सुपारी रक्खे, फिर उस पेड को मोली धागा बाधे, अपनी छाया पेड़ पर नहीं पड़ने दे, सवेरे तुमको अपने घर ले जायेगे, ऐसा कहे। फिर प्रभात ही पिछली रात को जाकर छाया रखकर उस पेड को उखाड लावे, उखाडते समय इस मन्त्र को 21 बार पढे ॐ 5 भ्र व मम कार्य प्रत्यक्षौ भवतु स्वाहा / फिर जिसको वश करना हो उसके घर मे रखवादे तो वह वश मे हो जाता है / लजालु पचाग 1 छटाक, घो 2 छटाक, गिरक रणी छटाक 3 स खा होली छटाक 3 सब चीज एकत्र कर गोली बनावे, फिर जिसको वश करना हो उसके खाने-पीने की चीजो मे मिलाकर खिला देवे तो वश होता है। वाद, विवाद, झगडे आदिक मे पास रखकर जावे तो सब लोग उसकी बात मानते है / गोरोचन के साथ घिसकर तिलक करे तो राजा प्रजा सर्वलोक वश होते है। अथ श्वेतगंजाकल्प शुक्ल पक्ष मे श्वेतगुजा को दशमी के दिन पूरी जड सहित ले, पंचाग ले फिर उसकी जड को पान के साथ जिसको खाने को देवे वह वश होय, स्त्री वश हो / पान के साथ मे घिसकर गोरोचन