SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 247
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८८ विधि :- इस मन्त्र से कलवारणी करके पिलावे सर्व रोग दोष पीडा भूत उपद्रव जाय सही । मन्त्र :- ॐ णमो अरिहंताणं ॐ गमो भगवऊ पास जिंणदस्स प्रलवेसर २ श्रागच्छ २ मम स्वप्ने शुभाशुभं दर्शय २ स्वाहा । लघुविद्यानुवाद विधि :- प्रथम पूर्व मुख, दीप, धूप विधानेन १०००८ बार जपे । कार्यं काले २११०८ जप सोवे, शुभ शुभ प्रदेश स्वप्न मे होय सही । मन्त्र :- ॐ रामो खारणाय ॐ गमो दसरगाय, ॐ गमो चरिताय, ॐ नमो त्रिलोक वरं कहिं स्वाहा । विधि :- सर्व कर्म करो मन्त्रोऽयम । कालायानी येन घटन पायन चलावण्य च छु सिरोधो सिरोत्पातादिषु कार्येषु योज्य ॥ मन्त्र :- ॐ ह्र ू ं ह्र ू ं ह्र ू ं ठं ठं ठं स्वाहा । विधि :- आद्रा नक्षत्रे राता कनीर की कील श्रांगुल चार बार ७ इस मन्त्र सू मन्त्रि, जिको नाम लीजे सो वश्य भवति । मन्त्र :- श्रनेन कील सयनाल स्वाहा । विधि :- उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्रे खैर की कील श्र गुल ८ बार ७ मन्त्रि जै जिका घर माहि गाढ सो उच्चाटन भवति । मन्त्र :- ॐ गर्दभ हृदये स्वाहा । विधि उपलब्ध नही हो सकी । मन्त्र :- ॐ ऐ ह्रीं श्रीं क्लीं ह्रों सिकोतरी मम चितितं कार्यशुभाशुभं कथय २ संत्यं ब्रूहि २ स्वाहा । विधि - अनेन मन्त्रेण श्राजानुजल मध्ये प्रविश्य १०८ कनेर का फूल जपिजै, चन्दन, केशर, कपूर, कस्तूरी सू हाथ लेप कीजै अग्र धूप दीजै सफेद घडे चढी कन्या दीसै । जो पूछो सोहे | मन्त्र :- ॐ ह्रीं श्रीं अचले प्रबलौ चल चल श्रमुकी गर्भ चाल चाल स्तंभय स्तंभय स्वाहा ।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy