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________________ लघुविद्यानुवाद १८६ मन्त्र :- ॐ ह्रीं हव्यू महादेवी पद्मावति महहि मम दर्शनं देहि स्वाहा । विधि :- अक्षत १०,००० (दस हजार ) जाप्य क्रियते पद्मावति प्रत्यक्षो भवति अथवा आदेश ददाति । विधि मन्त्र :- ॐ नमो भगवोक्त गोमयस्स सिद्धस्स बुद्धस्स प्रक्षीण महानसी लब्धि लक्ष्मी श्रानय २ पूरय २ स्वाहा । -बार २१ अक्षत पर जपिये । घनधान्य मध्ये क्षिप्यते प्रक्ष्य भवति । किन्तु उस स्थान को उठाइ नहि । मन्त्र :- ॐ ह्रीं रामो महायम्मा पत्ताणं जिगागं । विधि :- अनेन मन्त्रेण द्वादश सहस्त्र जाप्य कृतेन लक्ष्मी सिद्धति लक्ष्मी कथयति निधि स्थान । मन्त्र :- ॐ गमो इदं भुइ गरण हरस्स सव्वलद्धिकरस्स मय ऋद्धि वृद्धिं कुरु कुरु स्वाहा । विधि - बार १०८ लाभाय सदा स्मरणीया । मन्त्र :- ॐ श्रीं इवीं (भ्वीं) श्रीं क्लीं श्रीं झौ श्रीं ह्रीं श्रीं झौ झ श्रीं क्रौ श्रीं स्वाहा । विधि :- मन्त्रोय लक्ष जप्त. सन श्रिया वश्य करोति च धन्य धान्य सम दीप्त दान ददाति वृद्धयति । मन्त्र :- ॐ लम्बे अम्बाले भूतान् कूरान् सर्पान् दूरी कुरु २ निधि दर्शय २ श्री झौ स्वाहा । विधि - मत्रोऽय द्वादश सहस्त्र जप्तो कथयति, वशति निधान स्फुट । मन्त्र :--ॐ ह्रौं उ ह्रीं ह्र व वावि वी वु वू वे वै वो वौ वं वः । विधि :- रात्रौ स्पाप समये प्रत्यूषे च वार १-१ श्वासेन स्मरण कार्या यो मनसि चिन्तये तस्य वशी भवति । मन्त्र :- ॐ ह्र े इले तीले नीले हिमवंत निवासिनी गल गंधे विश्व गंधे दुष्ट भंगदर, वा तारिशा नाशारिशा स्फटिकारिशा हता कृष्ठा, निर्धूताय ।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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