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________________ मन्त्र :--- ॐ गुहिया वैतालाय नमः । विधि :- रात्रि को सोने के समय इस मन्त्र को १०८ बार जपना, फिर पानी को २१ बार मन्त्रित - करके पीना, सोते समय इस प्रकार २६ दिन तक करना, शनिवार से प्रारम्भ करना, जिसके नाम से जपा जायगा वह अवश्य वश मे होगा | विधि लघुविद्यानुवाद २ चूं वय २ अग संचय २ ॐ क्रीं ह्रीं क्लीं ब्लू ं सः सर्व फट् फट् स्वाहा । f १६७ मन्त्र — ॐ ह्रीं ह्रीं ह्र ऋषभशांति, घृती कीर्ति कांती बुद्धी लक्ष्मी ह्रीं प्रति चक्र े स फट् विचक्राय स्वाहा । इसकी विधि हमारे पास है, यहाँ नही दी गई है । विधि मन्त्र — ॐ उचिष्ट चांडालिनी देवी प्रसुकी हृदयं प्रविश्य मम हृदये प्रवेशय २ हन २ देहि २ पच २ हुं फट् स्वाहा । विधि :- शनिवार से रविवार तक ७ दिन इस मन्त्र को शौच पेशाब बैठते समय २१ बार जपे तो ७ दिन मे वाछित जन वश मे होता है । - इस मन्त्र का स्मरण करने से पानी का उपद्रव नही होता, पानी मे डूबे नही, नदी से निर्विघ्न पार उतर जाय । मन्त्र :- ॐ नमो आदेश गुरु को ॐ नमो उयणी मोहिनी दोय बही नड़ी चालोकंत वन माही जान जलती ग्रागी बुझा वीदों जल मोही थल मोही आकाश मोही पाताल मोही पारणी की परिण हारी मोही वाट घाट मोही श्रावता जाता मोही सिंहासन बैठो राजा मोही गोखे बैठी रानी मोही चौसठ जोगिनी मोही एता न मोहै तो कालिका माता को दूध हराम करि हणमंतनी वाचा फुरै गुरु की शक्ति हमरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा | — रविवार के दिन इस मन्त्र को १०८ बार नग्न होय जपे पान, फूल, सिन्दूर, गुगुल इन चीजो का सात बार होम करे । जिसको वशी करना चाहे उसके श्रागे वही पूजा का सिन्दूर को सात बार मन्त्रित करके सीधा तिलक अपने माथे पर करे । वह
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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