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________________ १६८ लघुविद्यानुवाद जिसके नाम से सिन्दूर मन्त्रित करके तिलक लगाया हो। वश्य होता है। अगर वशीकरण को छोड़ना चाहे तब पूर्वोक्त क्रिया करके पूजा मे का सिन्दूर से उल्टा तिलक करे। मन्त्र :-ॐ काला कलावा कालीरात भेसासुर पठाऊ आधी रात जेरुन पावे आधी रात ताल मेलु करे सगलारात वाप हो काला कलवा वोर अमुकी स्त्री बैठा उठाय लाय सूता कू जगाय ल्याव खडी कू चलाय ल्याव पवन वेग आरिण मिलाय आपणि वलि मुक्ति लीजै अमुकी स्त्री आणि दिजै प्रावै तो जीव नहीं तो उर्द्ध फाटि मरे । विधि :-भैसहा गुग्गुल को गोली एक सौ आठ घृत के साथ वैर की लकड़ी को जलाय कर इस मन्त्र ___ से होम करे। (बलि देवे) नैवैद्यकी। मन्त्र :-सर्पपि सर्प भद्रते दूर गच्छ महाविषः जन्मेजयस्ययझीते आस्तिक वचनं स्मर ॥१॥ आस्तिक वचनं श्रुत्वा यस्सोन निवर्तते । शतधाभिद्यते मून्द्धि शीर्ष वृक्ष फलं यथा । विधि -अगर सर्प सामने चला आ रहा हो तो दोनो श्लोक रूप मन्त्र को पढकर ताली बजा देना और सर्प के सामने मिट्री फेक देना, सामने से सर्प हट जायगा, अगर नहीं मानेगा और जबदस्ती सामने आवेगा तो सर्प का दो टक हो जावेगा। सवेरे और शाम को तीन-तीन बार इस श्लोक को नित्य ही स्मरण करे तो सर्प जीवन में कभी भी नहीं काटेगा। मन्त्र :-ॐ नमो काला भैरू कल वा वीर मे तोहि भेजु समदा तीर प्रग चटपटी मांथै तेल काला भैरू किया खेल कलवा किलकिला भरू गजगजाधर मे रहे न काम सवारे रात्रि दिन रोव तो फिर तो जती मसान जहारै लोह का कोट समुद्रसी खांई रात्रि दिन रोवता न फिर तो जती हणमंत की दुहाई सवदशा चापिडका चा फूरो मन्त्र ईश्वरी वाचा । इस मन्त्र की विधि उपलब्ध नहीं है। मन्त्र . -ॐ महा कुबेरेश्वरी सिद्धि देहि २ ह्री नमः ।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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