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________________ लघुविद्यानुवाद विधि :- नये घड' के अन्दर चन्दन से ही लिखे फिर उस घडो को मडल अन्दर स्थापन करे, फिर चारो दिशाओ मे उस घडो की पूजा करे फिर अक्षत लेकर मन्त्र पढता जाय और घड़े का अक्षत से ताडन करता जाय तो घडा घूमेगा । मन्त्र :- ॐ ह्रीं चक्र ेश्वरी चक्र धारिणी व्रज धारिरण चक्र वेगेन कटोर कं भ्रामय २ दव्यं दर्शय २ शल्यं दर्शय २ चौरं दर्शय २ सिद्धि स्वाहा । १६५ विधि :- एक कटोरा को गाय के मूत्र मे धोकर पत्थर के चकले पर स्थापना करे फिर कु दरू श्रीर गुगुल की धूप देकर इस मन्त्र से हाथ मे सरसो लेकर उस कटोरा का मन्त्र पढता जाय और ताडन करता जाय तो वह कटोरा जल कर जहा पर चोर होगा, अथवा चोरो द्वारा जहा पर धन गडा होगा वहा पर पहुचेगा । मन्त्र :- ॐ नमोरत्नत्रयाय नमो सत्वाय महा कारूणि स्वाहा । विधि :- अपने कपड़े को इस मन्त्र से २१ बार मन्त्रित करके गाठ लगावे फिर क्रोधित मनष्य के सामने जावे तो तुरन्त वश में हो जाता है । श्राचार्य विलोकिते स्वरात्थ वोधि सत्वाय महा काय चन्द्र २ सूर्ये २ मति पूतने सिद्ध पराक्रमें मन्त्र :- ॐ नमो रत्नत्रयाय मोचिनि २ मोक्षिरणी २ मिली मिली मोक्षय जीवं स्वाहा । विधि :- इस मन्त्र का त्रिकाल १० माला २ फेरे तो तुरन्त ही वदी वदीखाने से छूटता है । मन्त्र :- ॐ ह्री अघोर घंटे स्वाहा । विधि : - इस मन्त्र का १ लक्ष जाप करने से तुरन्तवदी वदी मोक्ष होता है । विधि मन्त्र :- ॐ लिविवि वि स्वाहा श्रलइ नलइ तलइ गलइ हेमंतु न वास इरसा वाता रसा होता कि स्वामि लोभिता सप्त सिंगार केरउ मरिण मंतु ए विद्या जेन प्रकाश इतेह चत्वरि ब्रह्म हत्या । - इस मन्त्र का वार २१ या १०८ सारस्य श्रुचिकया कठोर कस्या लगत्या जनमभिमत्र्यते तज्जल मर्द्ध पोयते शेष श्रद्ध जल मध्ये श्रूचिकानिक्षिप्य कटोक भव्य परिणामम स्थोद्य भव्य स्थाने रात्री मुच्यते तत्र हरोषा पतनि प्रमादोरक जल रक्त भवति ।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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