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मन्त्र :- ॐ ह्रीं ह्रौं ह्स्क्लीं पद्म पद्म कटिनो ब्लें नमः ।
विधि - इस मन्त्र का त्रिकाल १ माला फेरने से सर्व कार्य की सिद्धि होती है । विशेष जप करना हो तो गुरू की पहले आज्ञा प्राप्त करे तब ही सिद्ध हो सकता है । अन्यथा नही ।
मन्त्र :- ॐ ह्रीं सर्व कार्य प्रसाधि के भट्टारिके सव्वन्तु वयपरत्तस्य सम सव्वाऊ रिद्धिक सं पज्जंतु ह्रां ह्रीं क्रौ नमः सर्वार्थ साधिनी सौभाग्य मुद्रया स्म० ॐ नमो भगवती यामये महा रौद्र काल जिह्व चल चल भर भर घर घर का क्रां ब्री ब्रीं हुं हुं य मालेनी हर हर ज्वी हुं फट् स्वाहा ।
विधि
विधि
मन्त्र
लघुविद्यानुवाद
मन्त्र :- ॐ इरि मेरि किरि मेरि गिरि मेरि पिरि मेरि सिरि मेरि हरि मेरि प्रायरिय मेरि स्वाहाः ।
- इस मन्त्र को सध्या मे ७ दिन तक १०८ बार जपे, सौभाग्य की प्राप्ति होती है ।
विधि
मन्त्र
विधि
- इस मन्त्र से भूत प्रेतादि नष्ट होते है । इस मन्त्र को १०८ बार नित्य ही स्मरण करे ।
- श्री सह जाणंद देव केरी श्राज्ञा श्री गुरू याणंद केरी श्राज्ञा श्री पिगडा देव केरी श्राज्ञा श्रचलान् चालि चालि वेऊ करि चालि चालि स्वाहाः ।
- पुष्प धूपाक्षत श्री खड युक्तो घट, सखो जपेत् बार १०८ तत. शिलाया प्रत्य परे पुरुषोनि वेश्याक्ष तैर्हन्यते तत स्फिरत यह घट, शख भ्रामण मन्त्र है ।
- ॐ ह्रीं चक्र चक्रेश्वरी मध्ये अवतर अवतर
ही चक्र चक्र ेश्वरी घटं चक्रवे
गेन भ्रामय भ्रामय स्वाहा ।
-नये घड े को चन्दनादिक से मन्त्र से पूजा करके फिर घड़े के ऊपर कुम्हार को स्थापन करके इस मन्त्र का १०८ बार जाप करे फिर अक्षत से उस घड़े को ताडन करे अगर घटा ससार मे भ्रमण करे तो शुभ है और घडा टूट जाय तो हानि होगी । नूतन घट चदनादि ना पूजीय त्वा मन्त्र भरगन पूर्व मुपरि कुमार विवेश्य प्रथम वार १०८ अभि मन्त्रिरक्षित स्ताडयत्त सृष्टि भ्रमणे शुभ सहारे हानिः ।
मन्त्र :- ॐ ह्रीं चक्र ेश्वरी चक्र रूपेण घटं भ्रामय भ्रामय मम दर्शय दर्शय ॐ ह्री
फट् स्वाहा ।