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________________ लघुविद्यानुवाद क्षेत्रपालनी मन्त्र ६ -ॐ क्षा क्षी झूक्षौ क्ष. क्षेत्रपालायनम । विधि :-साढे बारह हजार जाप करना । फौजदारी, दीवानी दावा आदि निवारण मंत्र मल मन्त्र :-ॐ ऋषभाय नमः। विधि :-श्री आदीश्वर भगवान के समक्ष स्त्रोत १०८ बार प्रतिदिन जाप करना। साढे बारह हजार जाप करे मूल मन्त्र का । चक्रेश्वरी देवो का मन्त्र १ -ॐ ह्री श्री क्ली चक्रेश्वरी मम रक्षा कुरु कुरु स्वाहा । विधि :-सोते समय ५ माला जपना चाहिये। मन्त्र : २ :-ॐ नमो चक्रश्वरो चिन्तित कार्य कारिणी मम स्वप्ने शुभाशुभ कथय कथय दर्शय स्वाहा। विधि -शुभ योग, चन्द्रमा, तिथि वार से शुरू कर साढे बारह हजार जप करे। स्वप्न मे शुभाशुभ मालूम पडेगा। चतुर्विशति महाविद्या णमो अरिहंतारणम्, णमो सिद्धारणं, रणमो पायरियारणम् । रणमो उवज्झायारणम्, रणमो लोए सव्वसाहूरणम् ॥ विधि -यह अनाधि मूल मन्त्र है। इस मन्त्र से भव्य जीव ससार समुद्र से पार हो जाता है और लौकिक सर्व कार्य की सिद्धि होती है। यदि मन, वचन, काय को शुद्ध करके - त्रिकाल जपे। ॐ नमो भगवनो अरहऊ ऋषभस्स आइतित्थ यरस्स जलंतं ग (च्छं) तं चक्क सम्वत्य अपराजियं, पायावरिण ऊहरिण, थभरिण, मोहरिण जमणि, हिली-हिली धारिणी भंडारण, भोइयाणं, अहीरणं, दाढीरणं, सिगीणं, नहीणं, वाराणं, चारियारणं, जक्खाणं, ररक्खसारणं, भूयारणं, पिसायारणं, मुहबंधणं, चक्खु बंधरणं, गइ बंधणं करेमी स्वाहाः । विधि :-इस विद्या से २१ वार धूल यानि मिट्टी को मन्त्रित करके दशो दिशामो मे फैक देने से मार्ग में किसी प्रकार का भय नही रहता है। सघ का रक्षण होता है। कुल का रक्षण होता है। गरण का रक्षण होता है। प्राचार्य, उपाध्याय, सर्व साधूनी कां और सर्व साध्वियो का
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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