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________________ लघुविद्यानुवाद रक्षरण होता है । इससे सर्व प्रकार का उपसर्ग दूर होता है । मन्त्र पढता जाय और मन्त्रित धूल को फैकता जाय। ॐ नमो भगवऊ अरहऊ अजिय जिरणस्स सिज्झऊ मे, भगवइ महवइ महाविद्या अजिए अपराजिए अनिय महाबले लोग सारे ठ ठः स्वाहा । विधि -इस विद्या का उपवासपूर्वक ८०० बार जाप्य करे तो दारिद्र का नाश, व्याधियो का नाश, पुत्र की प्राप्ति, यश की प्राप्ति, पुण्य की प्राप्ति, सौभाग्य की प्राप्ति, दम्पत्ति वर्ग मे प्रीति की प्राप्ति होती है। ॐ नमो भगवऊ संभवस्स अपराजियस्स सिज्झउ मे भगवऊ महवइ महाविद्या संभवे महासंभवे ठः ठः ठः स्वाहा । विधि -चतुर्थ स्थान याने दो उपवास करके जपे साढे बारह हजार मन्त्र, फिर इस मन्त्र से भोजन अथवा पानी अथवा अर्क अथवा पुष्प या फल को अट्ठसय (आठ सौ बार) मन्त्रित करके जिसको दिया जायेगा वह वशी हो जायगा। ॐ नमो भगवऊ अभिनदरणरस सिझ(व्य)ऊ मे भगवइ महवइ महाविद्या नंदणे अभिनन्दरणे ठः ठः ठः स्वाहा । विधि :-दो उपवास करके फिर पानी को अट्ठसय (आठ सौ बार) जाप से मन्त्रित करके जिसका मुख मन्त्रित पानी से धुलाया जायेगा वह वशी हो जायगा। ॐ नमो भगवऊ अरहऊ सुमइस्स सिझ (ष्य)ऊ मे भगवइ महवइ महाविद्या समरणे सुमरण से सोमरण से ठः ठः ठ. स्वाहा । विधि -दो उपवास करके अट्ठसय ( आठ सौ बार ) मन्त्र प्ररहत प्रभु के सामने कोई भी कार्य के लिये अथवा दुकान की वस्तुओं के लिए जाप करके सो जावे तो भूत, भविष्यत. वर्तमान मे क्या होने वाला है, जो भी कुछ मन मे है, सबका स्वप्न मे मालूम पडेगा, सर्व । कार्य सिद्धि होगी। ॐ नमो भगवऊ अरहऊ पउमप्पहस्स सिज्झ (ष्य)उ मे भगवई महवइ महाविद्या, पउमे, महापउमे, पउमुत्तरे पउमसिरि ठः ठ ठः स्वाहा। विधि -इस मन्त्र को भी अट्ठसय (पाठ सौ बार मन्त्र) दो उपवास करके करने वाले मनुष्य के सर्वजन इष्ट हो जाते है यानि सर्व लोगो का प्रिय हो जाता है। ॐ नमो भगवऊ अरहऊ सुपासस्स सिज्झ (ष्य)उ मे भगवइ महवइ महाविद्या, पस्से, सुपस्से, अइपस्से, सुहपस्से ठः ठ. ठ स्वाहा ।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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