________________
लघुविद्यानुवाद
१०८ जाप्यम्
ॐ
སྙ ॐ सत्य. ॐ स्वः ॐ महः ॐ जनः ॐ तपः ॐ सत्यं ।
ॐ भूर्भुवः स्वः श्र-सि- श्रा - उ- सा - नमः मम ऋद्धि वृद्धि ं कुरु कुरु स्वाहा । ॐ नमो अहद्द्भ्यः स्वाहा । ॐ सिद्ध ेभ्यः स्वाहा । ॐ सूरभ्यः स्वाहा । ॐ पाठकेभ्यः स्वाहा । ॐ सर्व साधूभ्यः स्वाहा । ॐ ह्रां ह्रीं ह्रीं ह्रौं ह्रः प्र-सि श्राउ-सा नमः स्वाहा | मम सर्व शान्ति कुरु कुरु स्वाहा । अरहंत प्रमाणं समं करोमि
स्वाहा ।
ॐ नमो अरहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो प्रायरियाणं, णमो उवज्झाया रामो लोए सव्व साहूणं ह्रौ शान्तिं कुरु कुरु स्वाहा (नमः) ॐ ह्रीं श्रीं अ-सि-उ-सा श्रनाहत विद्यायै गमो अरहंताण ह्रीं नम ।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं ह्र. स्वाहा ।
ॐ ह्रीं अरहन्त सिद्ध आचार्य उपाध्याय साधूभ्यः नमः । ॐ ह्रां ह्रीं स्वाहा ।
विधि - १०८ बार पढकर छाती को छीटे देवे ।
ॐ ह्रीं श्रीं नमः । या ॐ ह्रीं श्रीं श्रहं नमः ।
५६
सूर्य मन्त्र का खुलासा
किसी काम के लिये ८००० जाप करने से फौरन काम होता है। खासकर कैद वगैरह के मामले मे अजमाया हुआ है ।
ॐ ह्रीं प्रर्ह णमो सव्वो सहिपत्ताणं ।
ॐ ह्रीं श्रर्ह णमो खिल्लो सहिपत्ताणं ।
विधि - दोनो मे से कोई एक ऋद्धि रोज जपे । सर्व कार्य सिद्ध होय ।
ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं ऐं क्रौ ह्रो गमो अरहंताणं नमः ॐ ह्रीं ग्रर्ह णमो उसा प्रति चक्र, फट्
अरहंताणं णमो जिणाणं ह्रां ह्रीं ह्रीं ह्रौं ह्रः श्रसि
विचक्राय झो झौ स्वाहा ।
विधि - इस मन्त्र की नित्य १ माला जपे तो दलाली ज्यादा होवे । धन ज्यादा होवे | राज द्वारे जो जावे तो दुश्मन झूठा पडे । पुत्र की प्राप्ति होवे । बदन मे ताकत आवे, विजय हो,