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________________ क्षणासार विषयानुक्रमणिका विषय पृष्ठ | विषय मंगलाचरण संक्रमणकरण का प्रतिपादन चारित्रमोह क्षपणाधिकार संक्रम द्वारा नपुसक वेद की अपा चारित्रमोह की क्षपणा में प्रतिपाद्य अधिकार नपुंसक वेद के संकमणकाल में बन्ध, उदयन संक्रम अषः प्रवृत्तकरण में होने वाली क्रियाएं १ | के माध्यम से प्रदेश विषयक अल्पबद्दुत्व का कपन ४९ अपूर्वकरण का वर्णन है | उदय भौर संक्रमण की निरन्तर गुणश्रेणि ५० यहां होने वाली गुणानेणिका कयन १. स्त्रीवेद संक्रमण में हाने वाले कार्यों का निर्देश ५१ गुण संक्रम के विषय में निर्देश | सात नो कषाम के संक्रमण काल में होने वाले कार्य ५१ अपकर्षण व उत्कर्षण सम्बन्धी प्रतिस्थापनादि का अश्वकरणं करण के स्वरूप निर्देश पूर्वक संज्वलन कथन चतुष्क के अनुभाग का अश्वकर्ण क्रिया का विधान अपूर्वकरण में जघन्य उत्कृष्ट स्थिति खण्ड़ के प्रमाण तथा उसमें होने वाले कार्यों का निर्देश का निर्देश प्रश्वकर्याकरण के प्रथम समय में होने वाले अपर्वउक्त करण में प्रथम व चरम समय में स्थितिखण्डादि स्पर्षकों का कथन के प्रमाण का निर्देश अपूर्वस्पर्धक की रचना में पाया जानेवाला द्रव्य का एक स्थिति काण्डक के पतन में सहस्रों अनुभाग परिमाण काण्डक घात होते हैं लोभादिक के स्पर्धकों की वर्गणा सम्बन्धी विशेष अनुभाग काण्डक किनके होता है ? विचार; प्रकृत में गणित सूत्र, क्रोधादि के काण्डक अपूर्वकरण में किस क्रम से किन-किन प्रकृतियों का व उनकी शलाका मादि का कथन बन्धव्युच्छेद होता है ? | प्रकृत मल्प बहुत्व अनिवृत्तिकरण सम्बन्धी कबम २३ । प्रश्वकर्णकरण के प्रथम समय में उक्त स्पर्धकों में से अनिवृत्तिकरण गुण स्थान में स्थिति खण्टु प्रमाण उदय बन्ध को प्राप्त स्पर्घकों का कचन अनिवृत्तिकरण के प्रथम समय में स्थिति बम्ब प्रकृत में दृश्यमान इण्य का कथन स्थिति सत्त्व प्रादि का निर्देश प्रथम मनुभागकाण्डक होने पर होने वाला कार्य स्थिति बन्धापसरण का क्रम निर्देश प्रश्वकर्णकरण के प्रथमादि समयों में क्रमश: घटते स्थिति सत्त्वापरण का कथन क्रम से मपूर्व स्पर्धक रचना ७ सत्य के क्रमकरण के बाद यथास्थान असंख्यात प्रकृत में स्पर्षक की वर्गणा में भविभागी प्रतिच्छेद समय-प्रबद्ध की उदीरणा की अपेक्षा अल्पबहुत्व स्थितिबन्ध और स्थितिसस्व सम्बन्धी काकरण के भश्वकर्षकरण में प्रथम प्रनुभागखण्ड पतित होने कथन के पश्चात् ८ कषाय व १६ प्रकृतियोंका क्षपण- पर स्पर्धक प्रादि में अल्पबहुल्य དད करणाधिकार अश्वकर्णकरण के चरम समय में स्थितिबन्ध व सत्त्व ९१ देशघातिकरण का कथन ४२ । | मागे बादर कृष्टिकरण के कालका प्रमाण जानने के प्रन्तरकरण का कयन ४३ | उपाय ७
SR No.090261
Book TitleLabdhisar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages644
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Karma, Philosophy, & Religion
File Size16 MB
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