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________________ : + गाथा २८६ ] लब्धिसार [ २३१ जानना चाहिए । जहां विशेष हो वहां विशेष जानना चाहिए। यहां संदृष्टिकी अपेक्षा चयहीन क्रम लिये पूर्वकृष्टि आदि की रचना निम्न प्रकार होती है- पूर्वकृष्टि रचना आस्तिमकृष्टि आदिकृष्टि पूर्वकृष्टि अधस्तशीर्षद्रव्य मिलानेपर समानरूप पूर्वकृष्टि रचना के नीचे ही अधस्तनकृष्टिद्रव्यद्वारा अपूर्व कृष्टि की समपट्टिकारचना निम्नप्रकार होती है- अथ शीर्ष द्रन्य अच्छ शी दिव्य पूर्वकृष्टि अपूर्वकृष्टि समपट्टिका पूर्व कृष्टियों में अधस्तनशीर्षद्रव्य मिलानेपर समानरूप पूर्वकृष्टि की रचना इसप्रकार होती है। रिभ्य 'द्रव्य विशेष द्रव्य ― अघ अध शोष/ द्रव्य शीर्ष संदृष्टि नं० ३ में उभयद्रव्यविशेष द्रव्य मिलाने पर संदृष्टि की आकृति निम्न प्रकार होती है । इसे गुपुच्छाकृति कहते हैं पूर्व कृष्टि अपूर्व कृष्टि समपट्टिका पूर्वकृष्टि अधू शिर्ष अधू शोष द्रव्य उभय द्रव्य विशेष द्रव्य
SR No.090261
Book TitleLabdhisar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages644
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Karma, Philosophy, & Religion
File Size16 MB
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