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________________ कुरल काव्य परिच्छेदः € सहधर्मिणी 1- वही उत्तम सहधर्मिणी है, जिसमें सुपत्नीत्व के सब गुण वर्तमान हों और जो अपने पति की सामर्थ्य से अधिक व्यय नहीं करती। 2- यदि पत्नी गृहिणी के गुणों से रहित हो तो और सब देनगियों के होते हुये भी गार्हस्थ्य जीवन व्यर्थ है । 3- यदि किसी की स्त्री सुयोग्य हैं तो फिर ऐसी कौन सी वस्तु है जो उसके पास विद्यमान नहीं ? और यदि स्त्री में योग्यता नहीं तो फिर उसके पास है ही कौन सी द्रव्य ? 4 - नारी अपने सतीत्व की शक्ति से सुरक्षित हो तो जगत में उससे बढ़कर गौरव पूर्ण बात और क्या है ? 5- जो स्त्री दूसरे देवताओं की पूजा नहीं करती किन्तु बिछौने से उठते ही अपने पतिदेव को पूजती है, जल से भरे हुये बादल भी उसका कहना मानते हैं। 6- वही उत्तम सहधर्मिणी है जो अपने धर्म और यश की रक्षा करती है तथा प्रेमपूर्वक अपने पतिदेव की आराधना करती है। 7- चार दिवारी के अन्दर पर्दे के साथ रहने से क्या लाभ ? स्त्री के धर्म का सर्वोत्तम रक्षक उसका इन्द्रियनिग्रह है। 8 जां महिला लोकमान्य और विद्वान् पुत्र को जन्म देती है, स्वर्गलोक के देवता उसकी स्तुति करते हैं। 9- जिस मनुष्य के घर से सुयश का विस्तार नहीं होता है. वह मनुष्य अपने वैरियों के सामने गर्व से माथा ऊँचा करके सिंह - वृत्ति के साथ नहीं चल सकता 10 सुसम्मानित पवित्र उसके महत्व की पराकाष्ठा । गृह सर्वश्रेष्ठ वर हैं, और सुयोग्य सन्तति 121
SR No.090260
Book TitleKural Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG R Jain
PublisherVitrag Vani Trust Registered Tikamgadh MP
Publication Year2001
Total Pages332
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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