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नैमित्तिकक्रियाप्रयोगविधिः।
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२४ प्रतिमायोगिनिक्रिया
'प्रतिमायोगिनः साधो सिद्धानागारशान्तिभिः । विधीयते क्रियाकांड सर्वसंधैः सुभक्तितः ॥
अथवा'लघीयसोऽपि प्रतिमायोगिनः योगिनः क्रियाम् । कुर्युः सर्वेऽपि सिद्धर्षिशान्तिभक्तिभिरादरात् ।। अथ प्रतिमायोगिमुनिक्रियायां......."सिद्धभक्तिकायोत्सर्ग करोमि। अथ प्रतिमायोगिमुनिक्रियायां........योगिभक्तिकायोत्सर्ग करोमि
अथ प्रतिमायोगिमुनिक्रियाया ...'शान्तिभक्तिकायोत्सर्ग
२५-दीक्षाग्रहण क्रिया'सिद्धयोगिबृहद्भक्तिपूर्वकं लिङ्गमर्म्यताम् ।
नुश्चाख्यानाग्न्यपिच्छात्म क्षम्यतां सिद्धभक्तितः ॥
१-सब संघ उत्तम भक्ति से प्रतिमायोगी अर्थात् सारे दिन सूर्य के अभिमुख कायोत्सर्ग करने वाले साधु का सिद्धभक्ति, योगिभक्ति और शान्तिभक्ति पढ़कर क्रियाकांड करें।
२-सब मुनि, दीक्षा में अत्यन्त लघु भी प्रतिमायोगि मुनि की सिद्धभक्ति, योगिभक्ति और शान्तिभक्ति पढ़कर वन्दनाक्रिया आदरपूर्वक करें।
३-बृहत्सिद्धभक्ति और बृहत्योगिभक्ति पूर्वक लोचकरण, नामकरण, नग्नताप्रदान और पिच्छप्रदान रूप लिंग अर्पण करें और सिद्धभक्ति पढ़कर लिंगार्पणविधान को समाप्त करें।
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