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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 1 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Acha क्रिया-कलापे-- AAAAA सिद्धवृत्तनुतिं कुर्याद् बृहदालोचनां तथा । शान्तिभक्तिं जिनेन्द्रस्य प्रतिष्ठायां स्थिरस्य तु ॥ चलजिनबिम्बप्रतिष्ठाक्रियायां, अचलजिनबिंबप्रविष्ठाक्रियायां, चल. जिनबिंबचतुर्थदिनस्नपनक्रियायां, अचलजिनबिम्बचतुर्थदिनस्नपनक्रियायां इत्येवं विज्ञाप्य तास्ताः भक्तयः प्रणेयाः । २३ प्राचार्यपदप्रतिष्ठापनक्रिया 'सिद्धाचार्यस्तुती कृत्वा सुलग्ने गुर्वनुज्ञया । लात्वाचार्यपदं शान्ति स्तुयात्साधुः स्फुरद्गुणः ।। अथ आचार्यपदप्रतिष्ठापनक्रियायां....."सिद्धभक्तिकायोसर्ग करोमि (सिद्धभक्तिः) अथ आचार्यपदप्रतिष्ठापनक्रियायां"""आचार्यभक्तिकायोत्सर्ग करोमि (आचार्यभक्तिः) एवं भक्तिद्वयं पठित्वा 'अद्यप्रभृति भवता रहस्यशास्त्राध्ययनदी. क्षादानादिकमाचार्यकार्यमाचर्यमिति गणसमक्षं भासमाणेन गुरुणा समय॑माणपिच्छग्रहणलक्षणमाचार्यपदं गृह्णीयात् । अनन्तरं अथ आचार्यपदनिष्ठापनक्रियायां" "शान्तिभक्तिकायोत्सर्ग करोमि १-जिसके गुण संघ के चित्त में स्फुरायमान हो रहे हैं ऐसा साधु शुभ लग्न में सिद्धभक्ति और आचार्यभक्ति करके गुरु की आज्ञा से प्राचार्यपद का ग्रहण कर शान्तिभक्ति करे। For Private And Personal Use Only
SR No.090257
Book TitleKriya Kalap
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Shastri
PublisherPannalal Shastri
Publication Year1993
Total Pages358
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Religion, & Ritual
File Size15 MB
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