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नैमित्तिकक्रियाप्रयोगविधिः।
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अथ वीरनिर्वाणक्रियायां..............निर्वाणभक्तिकायोत्सर्ग करोमि--
(निर्वाणभक्तिं पठन् प्रदक्षिणां कुर्यात् ) अथ वीरनिर्वाणक्रियायां.............. पंचगुरुभक्तिकायोत्सर्ग करोमि--
अथ वीरनिर्वाणक्रियायां..........शान्तिभक्तिकायोत्सर्ग करोमि--
२०-कल्याणपचकक्रिया'साद्यन्तसिद्धशान्तिस्तुतिजिनगर्भजनुषोः स्तुयावृत्तं ।
निष्क्रमणे योग्यन्तं विदि श्रुताद्यपि शिवे शिवान्तमपि ॥ १-'अथ जिनेन्द्रगर्भकल्याणकक्रियायां' इत्येवमुच्चार्य क्रमेण सिद्ध
चारित्र-शान्तिभक्तयो विधेयाः। २-'अथ जिनेन्द्रजन्मकल्याणकक्रियायां' इत्येवमुच्चार्य अनन्तरोक्ता
एव भक्तयो विधेयाः।
१-जिनेन्द्र के गर्भकल्याण और जन्मकल्याण में सिद्धभक्ति, चारित्रभक्ति और शान्तिभक्ति पढ़कर, निष्क्रमणकल्याण में, सिद्धभक्ति, चारित्रभक्ति, योगिभक्ति और शान्तिभक्ति पढ़कर, ज्ञानकल्याणक में, सिद्धभक्ति, श्रुतभक्ति, चारित्रभक्ति, योगिभक्ति और शान्तिभक्ति पढ़कर, तथा निर्वाण क्षेत्र में या निर्वाणकल्याणक में सिद्धभक्ति श्रुतभक्ति , चारित्रभक्ति, योगिभक्ति, निर्वाणभक्ति और शान्तिभक्ति पढ़कर वन्दना करें। जन्मकल्याणक की क्रिया पहले कह आये हैं तो भी पांचों क्रियाओं का एक स्थान में ज्ञान हो इसलिए फिर कही गई है।
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