________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
३१२
क्रिया-कलाप
संस्कृतक्रियाकाण्डानुसारेण यथा"सिद्धचारित्रचैत्येषु भक्तिः पंच गुरुष्वपि ।
शान्तिभक्तिश्च पक्षान्ते जिने तीर्थे च जन्मनि ॥ १ ॥ अथ पाक्षिकक्रियायां सिद्धमक्तिकायोत्सर्ग करोमि
सालोचनं चारित्रभक्तिकायोत्सर्ग करोमिचैत्यभक्तिकायोत्सर्ग करोमि-- पंचगुरुभक्तिकायोत्सर्ग करोमिशान्तिभक्तिकायोत्सर्ग करोमि
३-अष्टमीक्रिया-- चारित्रसारानुसारेण
'अष्टम्यां सिद्ध-श्रुत-चारित्र-शान्तिभक्तयः । अथ अष्टमीक्रियायां सिद्धभक्तिकायोत्सर्ग करोमि"
श्रुतभक्तिकायोत्सर्ग करोमि, सालोचनं चारित्रभक्तिकायोत्सर्ग करोमि
शान्तिभक्तिकायोत्सर्ग करोमि(इत्येवं प्रतिज्ञाप्य तत्तद्भक्तयो विधेयाः ) १-पक्ष के अन्त में अर्थात् पूर्णिमा और अमावस के रोज सिद्धभक्ति, चारित्रभक्ति, चैत्यभक्ति, पंचगुरुभक्ति, और शान्तिभक्ति करना चाहिए तथा जिनेन्द्र के जन्मदिवस के रोज भी इन भक्तियों को करना चाहिए।
२-अष्टमी के रोज सिद्धभक्ति, श्रुतभक्ति, आलोचना सहित चारित्रभक्ति और शान्तिभक्ति करना चाहिए।
For Private And Personal Use Only