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क्रिया-कलापे
अथ.......
सिद्धे' चैत्ये ते भकिस्तथा पंचगुरुस्तुतिः ।
शान्तिभक्तिस्तथा कार्या चतुर्दश्यामिति किया ॥१॥ अथ चतुर्दशीक्रियायां.........."सिद्धभक्तिकायोत्सर्ग करोमि
'सिद्धानुद्भूत' इत्यादिकां 'अट्ठविहकम्ममुक्के' इत्यादिकां वा सिद्धभक्ति पठेत् । अथ"........."चैत्यभक्तिकायोत्सर्ग करोमि
(चैत्यभक्तिः पठनीया) ''श्रुतभक्तिकायोत्सर्ग करोमि
(श्रुतभक्तिः ) अथ.........."पंचगुरुभक्तिकायोत्सर्ग करोमि
(पंचगुरुभक्तिः) अर्थ.....".""शान्तिभक्तिकायोत्सर्ग करोमि
('शान्तिजिनं शशि' इत्यादिशान्तिभक्तिः)
अथ.........."सिद्ध-चैत्य-श्रुत-पंचगुरु-शान्तिभक्तीः कृत्वा तद्धीनाधिकत्वादिदोषविशुद्धयर्थ समाधिमक्तिकायोत्सर्ग करोमि
१-चतुर्दशीक्रिया में सिद्धभक्ति, चैत्यभक्ति, श्रुतभक्ति, पंचगुरु भक्ति और शान्तिभक्ति करना चाहिए।
विशेष-प्राकृतक्रियाकांड का और संस्कृतक्रियाकांड का उपदेश भिन्न भिन्न है । दोनों ही उपदेश ऊपर दिखाये गये हैं। उनमें से किसी एक के अनुसार चतुर्दशीक्रिया की जा सकती है।
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