SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वचन कोश वृछ प्रांव को उत्तम जोह । तातर तपु लीयो चम षोइ ॥ अपराजित गजपुर भूपाल । ता घर घटयो क्षीर किरपाल ।।४॥ केवल उपज्यो सांड प्रवीन । समोसरण जोजन प्रर्द्ध तीन । गिरि सम्मेद ते उम जोग । मुक्ति बधू स्यो भयो संजोग ||५| तीज उजेरा फागुण मास । ता दिन कियौ गर्म निवास ॥ अघहन मुदि परिवा शुभ कम्मं । इद्रनि फियो महोछव जाम ॥६॥ दोहा चंत उज्यारी पूरिंगमा, तप लीनो भगवान । माघहन सुदि चतुर्दशी, पंचम शान विधान ॥७॥ इत्परनाथ वर्णन : ५ - १६. मल्लिनाथ स्तवन सोन्ठा अंतर को विधार, पोषन लाष शु वरष करें । मल्लिनाथ अवतार, मिथिला नयरी जानिये ।।१।। चौपई पिता कुभ हरिवंशी गोत । प्रभावती का कौंष उतोत ॥ लांछन कलस वर्ण तनु हेम । बीस पाठ गणधर सौं प्रेम असा पचवन सहस वर्ष की प्राव । धनक पजीस सराहे काय ।। जाती समरण तीनि भव सनी । कुमार काल दीया पद गनौं ॥३॥ प्रशोक वृष्य तल कीनी शोर । दूजे दिन पीयौ धीरन मोर ॥ नंदिसेन ने दोनों दान । बहकहर पुर को राजा जान ।। फेवत रिद्धि निसाको प्रादि । जोजन तीस सभा मरजाद ॥ पुरुषाकार जोग की रीति । गिरि सम्मेद थें कम बितीत ॥५॥ वोहा चत उज्यारि प्रतिपक्ष, गर्भवास प्रानंद । पापहन एकादशी, जनमरु तप जिनचंद ॥६॥
SR No.090254
Book TitleKavivar Bulakhichand Bulakidas Evan Hemraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1983
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy