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________________ कविवर बलालीदास मंस मुगलाने माहि दिल्लीपति पातसाहि तिमिरलिंग सुत बाबर सु भयौ है । ताको है हिमांक सुत ताहि ते अकबर है जहांगीर ताक पीर साहिहां व्यरे है । ताजमहल मंगना भगज उतंग महावली मकरंग साहि साहिन में बयो है । दाकी छत्र छोह पार सुमति के उ भाई भारत रपाइ भाषा जैनों अस लयो है ।।९।। पाण्डवपुराण में कौन-२ से छन्दों का किस प्रकार प्रयोग हुमा है उसका कवि ने निम्न प्रकार वर्णन किया है छप्पे एक गाणे महार हाती ये भीग जास्ती सएक सोरहेई परमानिये । छयालीस तेसो पारही पचीसीगनिलही मुजंग नंद छंद जैनी जग जानिये। तीनस तिरासी डिस्ल नौ सौ तीस दोहा भनि ढाईसौ सतान सुघोपई बखानिए । सारे इक चोर करि मानीये बुलाकीदास एकादश पंचस हजार चार मानिये । कवि ने श्लोक संख्या निम्न प्रकार बतलायी है - संख्या अलोक मनुष्टमी, गनीये ग्रंए लखाइ । सपा महल षट हदक पुनि पृषपत्त अधिक मिलाइ ।।१०।। - इस प्रकार पूरा पाणवपुराण ७५५५ श्लोक प्रमाण है । पापमपुराण की विशेषताए पाहपुराण पयपि भट्टारक शुभद्र के संस्कृत पाण्डपुरण का पयानुवाद है लेकिन कविवर गुलाकीदास की काश्य प्रतिमा के कारण यह एक स्वतन्त्र काव्य ग्रन्थ के समान बन पा है। पुराण २६ पात्रों में विभक्त है जो सर्ग प्रथया अध्याय के रूप में हैं। पुराण कथा प्रधान है । पाण्डवों के जीवन वृत्तको कहने - -
SR No.090254
Book TitleKavivar Bulakhichand Bulakidas Evan Hemraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1983
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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