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कविवर बुलाखीचन्द, बुलाकोदास एवं हेमराज
लघु कृतियां
बुलाकीदास की दो प्रमुख कृतियो के अतिरिक्त निम्न कृतियों के नाम और मिलते हैं
प्रश्नोत्तरररनमाला २. वार्ता ३. पौवीसी
१. प्रथनोसर रलमाला-पो पत्रों में निबद्ध यह कृति संस्कृत भाषा की है तथा जिसको एक मात्र पाण्डुलिपि दि जैन पार्श्वनाथ मन्दिर वृन्दी के शास्त्र भण्डार में वेष्ठन संख्या ११० में संग्रहीत है । मह प्रति सुभाषित के रूप में है।
२. वाता- प्रश्नोत्तर श्रावकाचार में से संग्रहीत वार्ता के रूप में यह दिन जैन मन्दिर कोट्यों नेएषा के प्रास्त्र भण्डार के एक गुटके में उपलब्ध होती है । गुटका सम्बत् १८१४ का लिखा हुआ है 12
इसका उल्लेख काशी नगरी की प्रचारणिी पत्रिका में हस्तलिखित हिन्दी ग्रन्थों के पन्द्रहवें वार्षिक विवरण में हुआ है। पत्रिका के सम्पादकों को इसकी प्रति 'मॉगरोव गुमर' के रहने वाले श्री दुर्गासिंह राजावत के पास प्राप्त हुई थी। मांगरोष का डाकखाना हनकता तहसील किरावली जिला सागरा है । इसमें १६६ मनुष्टुप छन्द हैं । भगवान आदिनाथ की बन्दना में एक छन्द इस प्रकार है
बन्दो प्रथम जिनेश को, दोष भठारह चुरी। वेद नक्षत्र गृह औरष, गुन अनन्त भरी पुरी । नमो करि फेरि सिद्धि को, भष्ट करम कीए छार । सहत पाठ गुन सो भई, कर भगत उधार ।
१. राजस्थान ने जन पास्त्र भण्डारों की अन्य सूची पन्चम भाग -पृष्ठ
संख्या ६८८ २. वहीं पृष्ठ संख्या १०२२ ३. देखिये भक्त काव्य पौर फषि,-डा. प्रेमयागा थष्ठ संख्या २६२-६३