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________________ बुधजन द्वारा निबद्ध कृतियां एवं उनका परिचय कवि में अन्य के अन्त में लोक कल्याण की भावना से प्रेरित होकर लिखा है "राजा, देण, नगर, ग्राम, घर और प्रत्येक व्यक्ति का मंगल हो । नगर में सदा नृत्य, गान प्रादि मनोरंजन के कार्य चलते रहें। सबके घर धन-धान्य से परिपूर्ण हों, सम लोग धर्मी अनों की संगति करें, जिससे पापों का नाश हो व सब लोग प्रभु का गुण स्मरण करते रहें।" उपरोक्त कथन से यह स्पष्ट है कि कवि की यह अन्तिम रचना है । क्योंकि इसमें लोक मंगल की जिस भावना का उल्लेख कवि ने किया है उसे देखने से लगता है कि उन्होंने अपने अन्तिम क्षणों में इसकी रचना की होगी या वृद्धावस्था में इसकी रचना की होगी। दूसरी बात यह भी है कि इसके बाद की कोई रचना कवि की उपलब्ध नहीं है । अतः मेरी सम्मति में यह कवि की अन्तिम रचना है । "बुधजन" ने हिन्दी भाषा में अपने विचारों की अभिव्यंजना कर वाड्मय की वृद्धि की है । उन्होंने समाज कल्याण की प्रेरणा से ही काव्य की रचना की है । भोग-विलास और राग-द्वेष के प्रदर्शनात्मक शृगार प्रादि रसों से कवि का कोई प्रयोजन नहीं । ग्रन्थ के अवलोकन से कविबर बुधजन की काव्य प्रतिभा भौर सिद्धान्त-ज्ञान का अच्छा परिचय मिलता है। के चारों अनुयोगों (वेदों) के विद्वान थे, कवि तो धे ही। रचना की भाषा से अवगत होता है कि उस समय हिन्दी की खड़ी बोली का प्रारम्भ हो यगा था। कवि ने यह रचना अपने कास की हिन्दी की खड़ी छोली में की है । रचना सरस और सरल है । १४. योगसार भाषा (वि० सं० १८६५) 9. पोगसार भाषा वि. स. १८६५) ___ प्राचार्य योगीन्द्रदेव द्वारा रचित अपभ्रंश रचना के माधार पर कविवर बूधजन ने इसका भाषानुवाद हिन्दी पद्यों में किया। यह रचना प्रारम-संबोधन हेतु रची गयी है । इसका विषय प्राध्यात्मिक है । इसमें निश्चय पोर व्यवहार नय की सापेक्षता दिखाई गई है। निश्चयनय मात्मा के वास्तविक स्वरूप को बताने वाला है, पर व्यवहार नय के बिना निश्चय नय का वर्णन नहीं हो सकता, तथापि अपने उगनीसा में घाटि, पांच संवत् घर मगहन । कृष्ण तृतीया हुवो प्रप पूरन सुर गुरु दिन । कवि बुधजन : बर्डमाम पुराण सूत्रनिका, पझ सं० ७७-७८ हस्तलिखित प्रसि, जयपुर मंगल हो नप देश नगर, ग्रामैं जन-सम-घर । १,
SR No.090253
Book TitleKavivar Budhjan Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Shastri
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1986
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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