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________________ बुधजन द्वारा निवद्ध कृतियां एवं उनका परिचय ६३ रचना उच्च कोटि की है। इनके पदों का कवित्व पक्ष व गैय पक्ष दोनों ही परिपुष्ट है' 1 | दार्शनिक तत्वों को समझाने के लिये हमारे कवियों ने जो पद और भजनों का माध्यम अंगीकार किया है, उसके अनेक कारण हैं । एक तो यह कि पद में कविता के साथ में गेय तत्व सम्मिलित रहता है । यह संगीत, पदों को राग-लय श्रीर दान की अपरिमित संभावनाएं प्रदान करता है । दूसरे यह कि पद का विस्तार सीमित होता है अतः संक्षेप में सब कुछ प्रा जाता है । तीसरे यह कि उपर्युक्त विशेषताओं के कारण पद आसानी से याद हो जाता । अतः अध्यात्म-तत्व के चिंतन-मनन में सहायता मिलती है । एक बात और इन पदों का दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान है और इनका स्पष्ट प्रयोजन है । हमारे आध्यात्मिक जीवन को यह परंपरा रही है कि प्रायः प्रत्येक धर्म ग्रौर के व्यक्ति अपने-अपने धर्म स्थानों में प्रातः सायं एकत्रित होते थे, वहां शास्त्र प्रवचन सुनते थे और अन्त में स्तुति पदों का गान होता था । धर्म का यह अत्यन्त सुन्दर, सरस और ग्राह्य रूप था। आज भी जिन मंदिरों में शास्त्र सभाएं होती हैं, वहां वे पद या इसी प्रकार के अन्य पद गाये जाते हैं । इस प्रकार का भजन गात गांधी जी की प्रार्थना सभाओं का मुख्य अंग था। हिन्दी जैन कवि 'दौलतराम' ने धार्मिक प्रवचन का एक ऐसा सुन्दर चित्र खींचा है कि मन मुग्ध हो जाता है । साधर्मी जन मिलते है, प्रवचन की अमृत रूपी झड़ी लगती है- ऐसी कि समग्र पावस- फीके पड़ जांच 'इन पदों की भावात्मक पृष्ठ भूमि, विचारों की सात्विक्ता श्रात्मनिष्ठ अनुभूतियों की गहराई, श्रभिव्यक्ति की सुधराई, सरलता, शालीनता और सरस गेयता सब भब्य । इन सब तत्वों का समन्वय ही पाठक के मन में लोकोत्तर श्रानंद की सृष्टि करता है । बुधजन के पदों में भावावेश, उन्मुक्त प्रवाह, प्रान्तरिक संगीत कल्पना की तुलिका द्वारा भाव चित्रों की कमनीयता, प्रानश्व विव्हलता, रसानुभूति की गंभीरता एवं रमणीयता का पूरा समन्वय बिद्यमान है । कवि 'बुवजन' द्वारा रचित पदों में उनके जीवन और व्यक्तित्व के सम्बन्ध में अनेक जानकारी की बा प्राप्त होती हैं। इनके समस्त पद गेम हैं । १. २. ही वगैर डॉ० नेमिचन्द्र शास्त्रो ज्योतिषाचार्यः तीर्थंकर महावीर और उनको ठाता परंपरा भाग-४, ० भा० दि० जैन विद्वत् परिषद प्रकाशन, पृ० २ जैन डॉ० राजकुमार : अध्यात्म पदावली, १०२१-२२, भारतीयता है । प्रकाशन ।
SR No.090253
Book TitleKavivar Budhjan Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Shastri
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1986
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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