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________________ ५२ कविवर बुधजन : व्यक्तित्व एवं कृतित्व १४) वर्तमान प्राज्ञाधक (५) भविष्य प्राशार्थक (६) सम्भावनायक इन छह कालों के अतिरिक्त सहायक क्रियानों की सहायता से भी अन्य फालों की सृष्टि हुई है । इन्हें संयुक्त काल कह सकते हैं। इस प्रकार विभिन्न कालों की दृष्टि में रखते युए 'बुधजन-सनसई में प्रयुक्त समस्त क्रियाओं को निम्न बों में विभाजित करके उनकी विवेचना की गई है। (१) सामान्य क्रियाएं (२) सहायक क्रियाएं (३) पूर्व कालिक क्रियाए' (४) संयुक्त क्रियाएं तथा (५) क्रियात्मक संज्ञा सामान्य क्रियानों के अन्तर्गत (क) वर्तमान कालिक क्रियाए' (ख) प्राज्ञार्थक क्रियाएं (ग) भूतकालिक क्रियाएं (घ) भविष्य कालिक क्रियाए माती है : उदाहरण-- धातु+अहि - जा+अहिं -- जाहिं (६३) प्रो+महि -होहिं (५२२) धातु+ए: लह+ए-लहै (४६) मिल-ए-मिल (३२६) लख+ए-लखै (१११) धातु-एँ: पीड+एं--पी. (५७७) पूज+एं-पूर्जे (५२) कर+एं- करें (१३४) धातु+ों: देख ---ो-देखों (४२४) अज+मो-अजों (४६७) जास+मो-जासों (४६६) धातु+प्रत आव+मत-पावत +प्रत-देत पातु+ई:
SR No.090253
Book TitleKavivar Budhjan Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Shastri
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1986
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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