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अपनी प्रन्तः प्रेरणा से दी थी। एक महिला के मन में साहित्य के प्रति इतनी लगन एवं प्राधिक सहयोग एक अनुकरणीय उदाहरण है । उनके निधन से हमें गहरी वेदना हुई है। उनकी प्रात्मा को शांति लाभ की कामना करते हैं। प्रादरणीय डा. कोठिया सा. से अकादमी पर अपना पूर्ववत स्नेह एवं वरद हस्त रखने का मनुरोध करते हैं। अमृत कलश में विद्वानों का पागमन
प्रमत कला स्थित अकादमी कार्यालय में समाज एवं देश के विशिष्ट महानुभावों एवं विद्वानों का मागमन होता रहता है । जिनके पधारने से हमें भी कार्य करने को प्रेरणा मिलती रहती है तथा वे अपने सुझावों से हमें लाभान्वित करते हैं। ऐसे महानुभावों में पं. विमल कुमार जी जैन सौरया सम्पादक धीतरागवाणी, राजकुमार जी सेठी प्रकाशन मंत्री, दि. जैन महासभा, जवाहर तरुण एवं डा. अनिल कुमार जैन अंकलेश्वर, . अपनी प्रसाद शर्मा हवाई विश्वविद्यालय होनालूलू । डा. इन्दुराय लखनऊ, डा. भागवन्द भास्कर नागपुर एवं श्री अश्विनी कुमार जयपुर के नाम उल्लेखनीय हैं । हम अमृत कलश में पधारने के लिये सभी महानुभावों के पाभारी हैं।
डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल