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________________ जीवन परिचय २३ "बुधजन" ने आत्म- प्रेरणा से प्रेरित होकर ही काव्य की रचना की थी। प्रदर्शन के लोभ से एक भी पद नहीं रचा है। आपकी सर्वश्रेष्ठ रचना है " बुधजन सतसई” । इसमें श्रापने संसार के प्रत्येक पहलू की व्यंजना बड़ी खूबी से की हैं । जैन पद संग्रह भक्ति रस के गीतों से स्रोत-प्रोत एक संकलन मात्र है जिसे गाकर कवि ने शांति का अनुभव किया होगा। आपके शब्द नपे-तुले होते थे । उनका एक-एक शब्द शांति और क्रांति का दोला था, लेकिन इस क्रांति से कविवर चिरशांति की स्थापना करना चाहते थे । वे एक कुषाल गायक थे, उनके गीतों में शान्त रस, प्रवाह बीर ग्रोज की विधारा मिलती है 1 महाकवि बुधजन एक सफल कलाकार थे। हिन्दी आप जैसे कलाकारों को पाकर धन्य हुई और ग्राम जैसे प्रशान्त गायक के श्रमरगीत इस संघर्षमय संसार में अपनी चिरशांति का आलाप सुना रहे हैं । उनकी रचनाओं में भक्ति की ऊंची भावना, धार्मिक सजगता और श्रात्मनिवेदन विद्यमान है। आत्म परितोष के साथ लोक-हित सम्पन्न करना ही उनके काव्य का उद्देश्य है | भक्ति विम्लता और विनम्र श्रात्म-समर्पण के कारण श्रभि व्यंजना शक्ति प्रबल है | कवि द्वारा रचित पदों में उनके जीवन और व्यक्तित्व के सम्बन्ध में अनेक जानकारी की बातें प्राप्त होती हैं। जिनभक्त होने के साथ कवि आत्म-साधक भी हैं। सांसारिक भोगों को निःसार समझना, साहित्य सेवा और सरस्वती श्रारावना को जीवन का प्रमुख तत्व मानना कवि की विशेषताओं के अन्तर्गत है । कवि की रचनाओं का अध्ययन करने से एक बात यह भी स्पष्ट हो जाती हैं कि उन्होंने अपने अन्तजंगल की अभिव्यक्ति अनूठे ढंग से की है । कवि की रचनाएं अध्यात्म प्रधान है | उनके पदों में विराट कल्पना, अगाध दार्शनिकता और सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक विशेषताएं हैं । ५. रचनाकाल I कविवर बुधजन अध्यात्म के ज्ञाता थे। उनकी रचनाओं में उनके बहुमुखी व्यक्तित्व, कृतित्व एवं विषय चयन आदि दृष्टियों के दर्शन होते हैं । रचनाओं के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि वे दार्शनिक विचारों को जन-जन तक पहुंचाना चाहते ये | इसीलिए उन्होंने अपनी सम्पूर्ण रचनाएं जनभाषा में लिखीं। उनकी सम्पूर्ण रचनाओं में से कुछ रचनाएं अनूदित हैं । अनुदित रचनाओं में भी कई विषयों पर कवि के मौलिक विचारों का परिचय मिलता है । कविवर बुधजन की प्रथम मौलिक रचना है "हाला" । यह रचना वि० सं० १८५६ को श्रक्षय तृतीया को पूर्ण हुई। जंसा कि कविवर अपनी इस रचना में स्वयं लिखते हैं - ין
SR No.090253
Book TitleKavivar Budhjan Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Shastri
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1986
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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