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________________ २० कविवर बुधजन : व्यक्तित्व एवं कृतित्व "पं नाथूराम जी प्रेमी के अनुसार कवि का वंश परिचय निम्न : प्रकार है" (१) निहालचन्द जी दुस जी (१) गुलाबचन्दजी, (२) अमीचन्दजी, (३) भदीचन्दजी, (४) श्योजीरामजी, (५) गुमानोरामजी, (६) भगतरामजी । अमरचन्दजी I मोतीलालजी शोभाचन्द्र जी 1 पूरणमल जी I सोनजी 1 फूलचन्द्रजी १. दीवान अमरचन्दजी की आज्ञा से श्रापने जयपुर में दो जिन मन्दिरों का निर्माण कराया था जो कवि की श्रमर-कीर्ति का गान कर रहे हैं । कवि की पवित्र विगता उनके मन्दिरों की दीवाल पर अंकित "मोहतोड़" "विषयछोड़", समयपाय चेतभाई से जानी जा सकती है । उस समय जयपुर में छह हजार जैन तथा ४ हजार अन्य जातियों के घर थे। कवि ने अपने जीवनकाल में जयपुर में महाराजा सवाई जयसिहजी (तृतीय) एवं महाराजा रामसिंह का शासन काल देखा था । कविवर बुधजन, जिस समय जयपुर में रह कर साहित्य साधना कर रहे थे, उस समय जयपुर नगर "सवाई जयपुर" के नाम से प्रसिद्ध था । उसका दूसरा नाम " तू काहड" भी था । वास्तव में ढूंढाड़ एक देश था और जयपुर उसका मुख्य नगर । उसके एक भाग में "डूंढाणी" भाषा चलती थी। जयपुर में उसके बोलने वालों की संख्या पर्याप्त थी। कुछ कवियों ने उस नगर को ही "दू ठाहड़" 11 प्रेमी, नाथूराम (सं०) युधजन सतसई प्रस्तावना हिन्दी ग्रंथ कार्यालय, बम्बई । I 1
SR No.090253
Book TitleKavivar Budhjan Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Shastri
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1986
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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