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________________ श्री महावीर ग्रंथ अकादमी-प्रगति चर्चा श्री महावीर ग्रंथ अकादमी की स्थापना का उद्देश्य सम्पूर्ण हिन्दी एवं राजस्थानी जैन साहित्य के प्रतिनिधि कवियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के मूल्यांकन के साथ उनकी विशिष्ट कृतियों को २० भागों में प्रकाशित करना है। इसके अतिरिक्त शोघानियों को दिशा निर्देशन एवं युवा विद्वानों को जैन साहित्य पर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना रहा है । मुझे यह लिखते हुए प्रसन्नता है कि दोनों ही दिशामों में वह निरन्तर आगे बढ़ रही है। अकादमीचार प्रस्तुत पुष्प सहित ६ पुष्प प्रकाशित किये जा चुके हैं तथा १० वें पुष्प की तैयारी चल रही है । इस तरह प्रकादमी अपने उद्देश्य में ५० प्रतिशत सफलता प्राप्त करने की दिशा में प्रयत्नशील हैं। इसी तरह अमृत कलश स्थित अकादमी कार्यालय में पोधार्थी विद्वानों का बराबर प्रागमन होता रहता है। अकादमी द्वारा प्रकाशित पाठवें भाग में मुनि सभाचव एवं उनके हिन्दी पद्मपुराण को अविकल रूप में प्रकाशित किया गया था। इस प्रकाशन के पूर्व कवि एवं उनकी रचना पद्मपुराण दोनों ही हिन्दी जगत् के लिये प्रज्ञात एवं प्रचित थे। पद्मपुराण हिन्दी का बेजोड काम ग्रन्थ है जो सीधी सादी एवं सरल भाषा में संवत् १७११ में लिखा गया था । यह महाकवि तुलसीदास की रामायण के समान अंन रामायण है । जो दोहा, चौपाई, सोरठा एवं प्रडिल्ल छन्दों में निबद्ध है । इस प्रकार मुनि सभाषद की इस रचना की खोज, सम्पादन एवं प्रकाशन का समस्त कार्य अकादमी द्वारा किया गया । इसके पूर्व के भागों में भी बाई अजीतमति, कवि धनपाल, भ, महेन्द्रकीर्ति, सांगु, मुलाखीचन्द, गारवदास, चतुरूमल एवं ब्रह्म यशोघर जैसे प्रज्ञात एवं प्रचित कवियों को प्रकाश में लाने का श्रेय अकादमी को जाता है । महाकवि ब्रह्म जिनदास का सांगोपांग वर्णन अकादमी के तृतीय भाग में प्रकाशित हो चुका है। मुझे तो यह लिखते हुए प्रसन्नता है कि अकादमी के इन सभी प्रकाशनों में आये हुए कवियों पर प्रब विश्वविद्यालयों में शोध प्रबन्ध लिखे जा रहे हैं जो अकादमी के उद्देश्य की महती सफलता है। प्रस्तुत भाग में कविवर बुधजन के जीवन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश हाला गया है । डा. मूलचन्द शास्त्री ने अपनी पी.एच.डी उपाधि के लिये बुधजन कवि को लिया और कवि के व्यक्तित्व पर विशद प्रकाश डालते हुए उसकी कृतियों का जो मूल्यांकन किया है वह निःसन्देह प्रशंसनीय है । उज्जन में पं. सत्यन्धर कुमार जी सेठी द्वारा प्रायोजित सेमिनार में जब शोघ प्रबन्धों के प्रकाशन की चर्चा भायी मौर डा. मूलचन्द जी ने अपने शोध प्रबन्ध के प्रकाशन की प्रावधयकता बतलायी जस
SR No.090253
Book TitleKavivar Budhjan Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Shastri
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1986
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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