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________________ छह हाला को स्त्री समान सेवन कर पाय सपार्जन किया (उस पाप के उदय से) त ने नरक पर्याय प्राप्त की। उन नरकों में भूमि को स्पर्श करने से इतना दुःख हुमा जितना फरीड़ा विमानों के काटने पर होता है। उन गरम में सून और पीच का प्रवाह बहता रहता है जहां दुर्गन्ध ही दुर्गन्ध है ।।१६।। पद्य--घाव करत मसि-पत्र मग में, शीत-उष्ण तन गाले । कोई काटे करवत कर गहि, कोई पात्रक जाले ।। जथाजोग सागर-थिति भुगत, दुःख को अन्त न मार्य । कम-विपाक असाही हवे तो, मानूष गति तब पावै ॥ २.४-१७ प्रर्थ-उन नरकों में (सेमर) के वृक्ष हैं जिनके पत्ते गिरफर तलवार की तरह शरीर पर घाव कर देते हैं । उन नरकों में कोई नारकी किसी दूसरे नारकी को अपने हाथ में करवत लेकर काट डालता है। कोई किसी को अग्नि में जला देता है परन्तु उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती। अतः अपने कर्मोदय से प्राप्त सागरों की प्रायु पर्यन्त उन दुःखों को भोगता है । यदि कोई (पुण्य-संयोग) हुआ तो मनुष्य गति को प्राप्त करता है ।।१७।। पच---मात उदर में रहे गींद म्हे, निफसत ही बिललावे । उम्मा-दांत-गला-विस्फोटक, डाकिनि ते बच जावे ।। तो जोवन में भामिनि के संग, निशि-दिन भोग रखा । अन्धा व्है पंधे दिन खोये, बूढ़ा नार हलावं ।। २-५-१८ प्रर्थ - (मनुष्य पर्याय में प्राने पर) प्रथम तो माता के उदर में गिडोले की भांति (सिमटकर) रहता है। वहां से निकलते ही रोने लग जाता है। बचपन में डा, दांत, फोड़ा और डाकिनि से बच गया तो युवावस्था में पत्नी के साथ भोगों में रात-दिन लिप्त रहता है तथा अचे की भांति व्यापार मादि में अपने जीवन के दिन व्यतीत करता है फिर बृद्धावस्था के आ जाने पर गर्दन हिलने लग जाती है मर्थात् प्रत्येक प्रवस्था में सदुपदेश से इकार करता है ॥१८॥ पन-जम पकर तब जोर न चाले, सैना सन बतावे । मन्दकषाय होय तो भाई, भवनत्रिक पद पाव ।। पर की सम्पत्ति लम्लि अति झूरै, के रतिकाल गंमार्च । प्रायु पन्त माला मुरझावं, तब सखि-लखि पछतावे ।। २-६-१६ भर्थ-जब यमराज धर दबोचता है अर्थात् जब भायु के निषेक पूरे हो जाते हैं तब इस जीव का कोई वा नहीं चलता, वाणी के द्वारा कुछ कह नहीं पाता, संकेत द्वारा ही कुछ बताता है । यदि कभी मरण-काल में कषाय की मन्दता हुई
SR No.090253
Book TitleKavivar Budhjan Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Shastri
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1986
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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