________________
तुलनात्मक अध्ययन
१४१
मानया जीवन का परम लक्ष्य निर्वाण की प्राप्ति है। उसकी प्राप्ति पूर्ण प्रहिंसक बनने पर ही हो सकती है।
___ कविधर बुधजन ने अपने साहित्य में अनेक माध्यारिमक एवं दार्शनिक सिद्धान्तों का सरल भाषा में वर्णन किया है । वे प्रमाण, नम और निक्षेप का अपने प्रसिद्ध अन्य तत्वार्थ कध एव पधान्तिकाय माषा मे बड़ी ही सूक्ष्मता एवं स्पष्टता के साथ वर्णन करते हैं :
नय-प्रमाण द्वारा जाने गये पदार्थ के एक प्रश को जानने वाला ज्ञान
प्रमाण-वस्तु के समस्त प्रशों को जानने वाला ज्ञान प्रमाण है।
नय को विशेष रूप से समझाते हुए कवि ने विविध दृष्टान्तों का प्रयोग किया है । ये नय के मुख्य दो भेद करते है-द्रव्याश्रिवा नय और पर्यायाथिक नय । च्यार्थिक नय-द्रव्य को विषय करने वाताध्याथिका रवं चयनि मन की पिच करत या पयायाथिक नय है । द्रष्याथिक नय के १. भेद हैं-(१) पर उपाधि-निरपेक्ष शुद्ध द्रव्यायिक नय, जैसे-संसारी जीव सिद्ध के समान शुद्ध है (२) ससा-ग्राहक शुद्ध दध्यापिक नय, जैसे जीव नित्य है । (३) भेद कल्पना निरपेक्ष शुद्ध नव्याथिक नय, जैसे-टूक्ष्म अपने गुण पर्याय स्वरूप होने से भिन्न है । (४) पर उपाधि सापेक्ष प्रशुद्ध द्रव्याथिक नय, जैसे--प्रात्मा कर्मोदय से क्रोध, मान मादि भाव रूप है । (५) उत्पाद व्यय सापेक्ष अशुद्ध प्रघ्याथिक नप, जैसे—एक ही समय में उत्पाद, व्यय, धौम्य रूप है। (६) भेद कल्पना सापेक्ष अशुद्ध द्रव्याथिक नय, जैसे-पात्मा के ज्ञान दर्शन आधि गुण है । (७) अन्त्यम द्रव्याथिक नय, जैसे-द्रव्य गुण पर्याय-स्वभाव है। (८) स्वचतुष्टय प्राहक द्रव्याथिक नय, जैसे-स्वद्रष्य, क्षेत्र, काल, भाव की अपेक्षा द्रव्य है। (२) परचतुष्टय मादक द्रव्यार्थिक नय, जैसे पर द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव की अपेक्षा द्रव्य नहीं है (१०) परमभाव ग्राहक द्रव्याथिक चय, जैसे-पारमा ज्ञान स्वरूप है।
इसी प्रकार पर्यायाथिक नय के ६ भेद बतलाये हैं १-प्रनादि नित्य पर्यायाथिक ! जैसे सुमेरुपर्वत प्रादि पुदगल पर्याय नित्य है । २-सादि नित्य पर्यायाथिक नय-जैसे सिद्ध पर्याय नित्य है । ३-उत्पादब्यय ग्राहक पर्यायाथिक नय । जैसे पाय क्षण क्षरण में नष्ट होती है । ४-सत्ता सापेक्ष पर्यायाथिक नय । जैसे-पाय एक
१. सफलश परमाए है। नय एक देश प्रमान |
विम सापेक्षानय मिथ्या, सापेक्षा सत्तिमान । सुधजनः तरवार्थबोध, पद्य सं० २० पृ. सं. १५ प्रकाशक कन्हैयालाल गंगवाल लश्कर, प्रकाशन ।