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________________ कविवर बुधजन : व्यक्तित्व एवं कृतित्व - है । जो अपना भाग्य बनाता है, बही बदल सकता है । इसलिये अशुभ-भावों से हटकर शुभमाव करते रहना चाहिए और शुद्ध भावों की भावना भानी चाहिये । कविवर के भान पक्षीय विश्लेषण में यही वृत्ति मूल्य रूप से लक्षित होती है । चे भूत, भविष्य की चिंता छोड़कर वर्तमान को सम्भालने का भाव करने की ही सीख देते हैं। उनकी दृष्टि में वर्तमान सबसे महत्वपूर्ण है। यदि इस समय हमारी रुचि सम्यक् नहीं बन पाई, भाव भी बसे न हुए, तो हमारे जीवन से क्या लाभ? मूल भाव की दृष्टि से कविवर की रचनायों में रहस्यानुभूति के दर्शन होते हैं । विविध रूपकों के द्वारा उन्होंने प्रात्मा-परमात्मा की रहस व सुरति को चित्रित किया है। एक सन्त कवि व नीति-उपदेशक के रूप में उनके भाव स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त हुए हैं 11 मोरया ... मोह मदिरा के नशे में विहल मनुष्य की दशा मद्य-पान करने वाले व्यक्ति के सपा हो जाती है । यही दशा मोही जीवों की जानना चाहिये । स्वार्थी संसार : जीन एकाकी मां के गर्भ में प्राता है और नव मास पर्यत अधोमुख होकर बिताता है, वहां से जब निर्गत होता है, उन दुःखों को तो बही जानता है, अन्य कोई तो जान ही क्या सकेगा ? जो माता उसे उदर में धारण करती है, उसे भी उस बालक के दुःखों का पता नहीं 1 जब निर्गस हुमा तब बाल्यावस्था में शक्ति व्यक्त न होने से, इच्छा के अनुकुल कार्य न होने से जो कष्ट उसे होते हैं, उनके वर्णन करने में अन्य किसी को सामथ्र्य नहीं । उसे तो भूख लगी है, दुग्धपान करना चाहता है, परन्तु मां अफीम पान कराकर सुलाने की चेष्टा करती है। वह सोना चाहता है, मां कहती है बेटा दुग्धपान कर लो। कहने का तात्पर्य यह कि सब तरह से प्रतिकूल कायों में ही बाल्यकाल को पूर्ण करना पड़ता है । जहाँ पांच वर्ष का हुआ, मातापिता, बालक को पढ़ाने का प्रयत्न करते हैं । ऐसी विद्या का अर्जन कराते हैं, जिससे लौकिक उन्नति हो । यद्यपि लौकिक उन्नति में पारित नहीं मिलती तथापि मातापिता को जैसी परंपरा से पद्धति चली पा रही है, तदनुकुल ही उनका, बालक के प्रति भाव रहेगा । जिस शिक्षा से प्रात्मा को शान्ति मिले, उस ओर लक्ष्य ही नहीं। १. झूठे विकलप रचि फरे, चिता चत्त के माहि । एक मिट दूजी जठं, साता पावै नाहिं ।। बुधजन : बुधजन विलास, वैराग्य, दोहा संख्या १३, पाना स. २७ ।
SR No.090253
Book TitleKavivar Budhjan Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Shastri
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1986
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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