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________________ मयगजुज्झ कवित्त घटिड कोई कंदप्पु, अप्यु बलु अवर न मान। कुनामा मामा, 'इस सुह अवगण्याइ । ताणि कुसमु कोवंड महराह संडह बल । बंभई सहरि देत तिना रखिय तिन्हक । कवि बल्हा जयंतु जंगमु प्रटनु । सरकिय भवरु तिसु सर कोइ । प्रसि झाए हणि श्री आदिजिए । गयउ मयण दह बट्ट कुहुइ ॥१३६।। वस्तु बन्ध दुसहू बडउ मोहु प्रचंड, भडु मयणु निदियउ । कलिय कालि तथ पाडि लियउ, भानंदु नित्ति मनि । विवेक जसु तिलकु दीयउ, जे वडवई यम्म के ते सव । घाले बंदि चेयरपराउ छुटाइयज, स्वामी प्रादि जिरण्दु ॥१३७। छुट्टि चेयण हुयउ मणु महणि, सह स्खुल्लिप धम्मदर, समाधि प्रागम जारिणय उ । रवि कोट भनंत गुण, प्रगट जोति केवलि दिपायउ । सुरपति नरपति, नागपति मितिय सन सब माघ । अन्या फेरन देसमाहि दियउ विवेकु पठाइ ॥१३८॥ स्वामि पठायउ राउ विवेकु सो देसहि संचरिउ, उसभ सेगिणकहु वेगि बुलाबह । सो पप्पिउ गणहपक्ति, सुत्त प्रत्यु विसु कहु सुपायउ । इकुषम्म पुह बिधि कहो, सामारी भणगार दे। संखेपिहि इव रुहियउ, भवियाह सणहु बिचार ।।१३९) कर्म का विवेचन मिलि चउबि संघहु आइ, बह देवी देवतह, तिय जांचमि हुइय इक्कट्रिय । करि बारह परिषषा, ठामि ठामि मडिषि वट्टिय । वाणीय निम्मल ममियम, सुणि उपजे सुह झारणु । भवियण मनु गहि गहिज स्वामी करइ यखाणु ||१४०।।
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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