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________________ कविवर बूचराज एवं उनके समकालीन कति उनमें १३१ पश्च राग दीपगु तथा शेष ५ अष्टपद छप्पय छन्द में निबद्ध है। कवि ने धमाल का रचना काल एवं रचना स्थान दोनों ही नहीं दिये हैं। लेकिन भाषा की दृष्टि से यह रचना उसको अन्तिम रचनामों में से दिखती है। कवि ने इस कृति में अपने आप का यहपति, वल्ह, धूचा ने तीन नामों से उल्लेख किया है। चेतन पुद्गल धमाल एक संवादात्मक कृति है। जिसमें संवाद के माध्यम से चेतन एवं पुद्गल दोनों अपना-अपना पक्ष रखते हैं, एक दूसरे पर दोषारोपण करते करते हैं । संसार में फिराने एवं निर्वाण मार्ग में रुकावट पैदा करने में कौन कितना सहायक है, इसका बहुत ही सुन्दर वर्णन हुआ है। इस प्रकार के वर्णन प्रथम बार वेखने में पाये हैं और वे वर्णन भी एकदम विस्तृत । पेतन पुद्गल के संवाद इतने रोचक एवं आकर्षक है कि कोई भी पाठक उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रहेगा | पं० परमानन्धजी शास्त्री ने अपने एक लेख में इस कृति का नाम अध्यात्म धमाल भी दिया है। लेकिन स्वयं कवि ने इसे संशशदात्मक कृति के रूप में प्रस्तुत करने को कहा है। कवि ने प्रारम्भ में सम्यगज्ञान रूपी दीपक की प्रशंसा की है। जिसके द्वारा मिध्यात्व का पलायन हो जाता है। इसके पश्चात् चौबीस तीर्थंकरों का २५ पद्यों में स्तवन किया गया है । फिर चेतन को इस प्रकार सम्बोधित करके रचना प्रारम्भ की गयी है। यह जड़ खिणिहि विचंसिणी, ता सिट संगु निवारू । चेतन सेती पिरती कर, जिउ पावहि भव पारो। घेसन गुणा ।।३३।। चेतन और जड़ के विवाद को प्रारम्भ करते हुए कहा गया है कि जिसने जड़ को अपना मान लिया तथा उससे प्रीति कर ली वह संसार सागर में निश्चय ही बता है। क्योंकि विषधर के मुस्ल में दुध पड़ने पर उसका विष रूप ही परिणमन होता है। उससे अच्छे फल की आशा करना व्यर्थ है । लेकिन इस मनतव्य का जड़ ने १. कवि वल्हपति सुस्गमि के एवउ चलल सिर धारि ।।१।। २. जिरण सासरा महि दीवडा सल्ह पया नवकार ।।३।। ३. इब भरणा चा सदा निम्मलु मुकति सरूपी जोया ।।१३६।। ४. अनेकान्त वर्ष १६-१७ पृष्ठ २२६ । ५. पंच प्रमिष्टि बल्ह कषि ए पम्मी परिभाउ । चेतन पुद्गल बहूक सादु विवाद सुरणाघो । घेयरण सुग ॥३२॥
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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