SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 275
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६. कविवर बूचराज एवं उनके समकालीन कवि कवि ने मन्तिम पत्र में सभी सातों व्यसनों को त्याग करने का उपदेश देते हुए उनके पवगुणों को उदाहरण देकर बतलाया है । जूच विसनि वन वासि भमिय पंडव नरबइ नलु । मंसि गयो वगराउ सुरा खोयो जादम कुलु । बेसा वणियर चारिदत्त पारषि सवं उनिउ । चोरी गउ सिउभूति वियु परती लंकाहिउ । इक्के विसनि का मुरती, नर ा न दुसहर । बाह अंगि अधिक मच्छहि बिसन, ताह तणी गति को कहा ।।१।। रचना की एकमात्र पाण्डुलिपि शास्त्र भण्डार दि० अंन मन्धि पांडे लूणकरण जी, जयपुर के गुटके में संग्रहीत है । १२. व्यसन प्रबन्ध कवि की यह दूसरी कृति है जिसमें सात व्यसनों की चर्चा की गयी है। उनके अवगुन बताये गये हैं और उन्हें छोड़ने का आग्रह किया गया है । प्रस्तुत प्रबन्ध मुनि धर्मचन्द्र के उपदेश से लिखी गयी थी। मुनि धर्मचन्द्र भट्टारक प्रभाचन्द्र के शिष्य थे और बाद में मंडलाचार्य बन गये थे। उन्होने राजस्थान में प्रतिष्ठा महोत्सवों के प्रायोजन में विशेष रुचि ली थी। मुरिण धर्मचन्द उपदेसु सह्यो, कवि ठकुरि विस्त प्रबंध को। पर हरई जको ए आणि गुण, सो वहा सरव सुख वंचित धरणं ॥1॥ सुणि सीख सयाणी मूढ मनं. तजि विस्न बुरा देहि दुख घणं ।। प्रबन्ध में केवल पाठ पद्य हैं तथा उनमें संक्षिप्त रूप से एक-एक व्यसन के अवगुणों का वर्णन किया गया है। सप्त व्यसनों के सम्बन्ध में दो-दो कृतियां मिबद्ध करने का अर्थ यह भी निकाला जा सकता है कि कवि के युग में समाज में अथवा नगर में सात व्यसनों में से कुछ व्यसनो का अधिक प्रचार हो । पोर उनको दूर करने के लिए कषि की पुनः प्रबन्ध लिखने की आवश्यकता पड़ी हो। __ मद्य पान के सम्बन्ध में कवि ने लिखा है कि मद्य पीने से माठ प्रकार के मनर्थ होते हैं। शराब पीने के पश्चात् वह माता एवं पत्नी का भेद मूल जाता है। मद्य पान से पता नहीं कौन-सा सुख मिलता है। मद्य पान से ही सारा यादव वंश समाप्तहुप्रा था।
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy