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________________ कविवर ठक्कुरसी ६. पार्श्वनाथ शकुन सत्तावीसी प्रवीन थी । पार्श्वनाथ के कवि की सर्वतोल्लेख यह प्रथम कृति है जिसकी रचना संवत १५७८ मात्र शुक्ला २ के शुभ दिन चम्पावती में हुई थी। उस समय देहली पर बादशाह ग्राहीम लोदी का शासन था तथा चम्पावती महाराजा रामचन्द्र के सत्तावीसी एक स्तवनात्मक कृति है जिसमें चाकसू (चम्पावती) के मन्दिर में विराजमान पार्श्वनाथ की ही स्तुति की गयी है। इसमें २७ पद्य हैं । रचना साधारण होते हुए भी सुन्दर एवं प्रवाह युक्त है और सोलहवीं शती के मन्तिम चरण में हिन्दी भाषा के विकास को बतलाने वाली है । सत्तावीसी स्तवन परक कृति होने पर भी इतिहास के पुट को लिये हुए है। प्रस्तुत कृति में इब्राहीम लोदी के रणथम्भोर आक्रमण का उल्लेख है तथा यह कहा गया है कि बादशाह ने अपने प्रबल सैन्य के साथ रणथम्भोर किले पर जब प्राक्रमरण कर दिया तो उसकी सेना आस पास के क्षेत्र में भी उपद्रव मचाने लगी और वह चम्पावती तक था पहुँची । लोग गांवों को छोड़कर भागने लगे | 2 સ चम्पावती के निवासी भी भय से कांपने लगे तथा मना करने भी चारों श्रोर भागने लगे। लेकिन कुछ लोग नगर में ही रह गये और भगवान पार्श्वनाथ की स्तुति करने लगे । ऐसे नागरिकों में पं० मल्लिदास, कविवर ठक्कुरसी मादि प्रमुख ये सभी नागरिक पार्श्वनाथ की स्तुति, पूजा-पाठ करने लगे तथा वित्त से बचाने के लिए प्रार्थना करने लगे। भगवान पार्श्वनाथ की कृपा से शीघ्र ही भयंकर विपत्ति टल गयी। लोगों को अभय मिला। नगर में शान्ति हो गयी । चारों ओर पार्श्वनाथ १. घे नंवणु ठकुरसी नामु, जिरा पाथ पंकय भसतु । ते पास थुय किय सत्रो जबि, पंदररसय अट्ठतर । माह्मासि सि पखपुर अवि, पढहि गुरहि जे नारि नर । २. जवहि लिद्धड राणि संग्राम, रणथंभुवि दुरंग गव । जब इब्राहिमु साहि कोथिज, वलु बौली मो कलिज । बोलु कौलु सबु सेरा लोपिस, जिम लग उज्झलि हाइसि । मेद्य मृदु भय वज्जि, विगु चंपावती वेस सहि गया वह दिसि भज्जि । तेरा तुहु सिउ कहहि जगनाथ, मिथुरिण सिद्धि सुदरि रया । इहि निमित्त कउ किसउ कारण, भूत भविषित जा तुहू । तु समधु अगि सरण तारा उदाता उम्रवहु । जाइ भव देखइ गांव, जद्दन खहि पास प्रभु हो रहा मिट्ठाई ||२३||
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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