SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 253
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २३८ कविवर बुचराज एवं उनके समकालीन कवि रचनामों का परिचय देते हुए कवि की इन कृतियों को राजस्थानी एवं ब्रज भाषा मे प्रभावित कृतियां बतलायी । लेकिन इतना होने पर भी कवि को जो स्थान एवं सम्मान मिलना चाहिए या वह उसे प्राप्त नहीं हो सका। इसका प्रमुख कारण भी वही है जो अन्य कवियों के सम्बन्ध में कहा जाता है । ठाकुरसी राजस्थान के द्वाड क्षेत्र के कवि थे। इन्होंने स्वयं ने अपनी कृति "मेधमाला कहा में ढूढाइ शब्द का उल्लेख किया है और चम्भवती (चाटसू) को उस प्रदेश का नगर लिखा है ।1 कवि चम्पावती के रहने वाले थे । इनके पिता का नाम घेन्ह था । ये स्वयं भी कवि थे जिसका उल्लेख कवि ने अपनी कितनी ही रचनापों में किया है। बेल्ह कवि की पभी तक की रचनाएँ "बुद्धि प्रकाश एवं विशाल कौति गीत" उपलब्ध हो सकी है। दोनों ही रचनाएँ लघु रचनाएं हैं। ठयकुरसी को कविश्व वंश परम्परा से प्राप्त था। ये जाति से लण्डेलवाल दि. जैन थे | इनका गौत्र पहाडिया था । स्वयं कवि ने अपने आपको पहाडिया वंश शिरोमणि लिखा है । कवि की माता भी बड़ी धर्मात्मा थी। इसलिए पूरे घर के संस्कार धार्मिक विचारधारा वाले थे। ठक्कुरसी संभवत: व्यापार करते थे तथा राज्य सेवा में वे नहीं थे। यद्यपि कवि ने चम्पावती के शासक 'रामचन्द्र' के नाम का उल्लेख किया है लेकिन उससे ऐसा प्रतीत नहीं होता कि वे राज्य में किसी ऊ के पद पर काम करते हों । कवि का जन्म कब हुआ, उसकी बाल्यावस्था एवं युवावस्था कैसे बीती, इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता है और न कयि ने स्वयं ने ही अपने जीवन के बारे में कुछ लिखा है । कधि का वैवाहिक जीवन कैसे रहा तथा कितनी सन्तानों का उन्हें सुख मिला ये सब प्रश्न मी अभी तक अनुत्तर ही हैं। लेकिन इतना अवश्य है कि इनके जमाने में चम्पायती पूर्णत: घन्य-धान्य पुर्ण थी। महाराजा रामचन्द्र का शासन था। तक्षकमढ (टोडारायसिंह) के शासक १. विष्णोक ढूढाहरु देस मज्झि, रणयरी चपावद प्ररिक सत्यि । सहि अस्थि पास जिराबर रिपकेउ, जो भव कणिहि तारण हसेउ ॥ मेघमाला कहा २. एपड पहाडिह वंस सिरोमणि, घेल्हा गुरु तमु तियबर परमिरिण । ताह तह कवि आफुरि सुन्दरि, यह कह किय संभव जिण मन्वार ||
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy