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________________ कविवर बूचराज एवं उनके समकालीन कवि ज्वरी मांसाहारी जीव अवगनु, जिन्हि चोरी की भीष । पर निय लीन करहि मद पान, तिन सौं सत्रुन दूजो आन । करै कुमित्र संगु जो कोइ, गुनवन्तो जो निर्गुण होइ । सूखं दाद संग ज्मो हर्यो दावानल माहि पुनु सौ पर्यो । इस प्रकार कवि समाज के शिक्षक के रूप में हमारे समक्ष माता है । उसने यह दर्शाया है कि गृहस्थी रहकर भी मानव अपने जीवन को उन्नत बना सकता है। उसे साघु सन्यासी बनने की प्रावश्यकता नहीं है। कवि की रचना में प्रजभाषा तथा अवधी भाषा के शब्दों का प्रयोग अधिक हुपा है। इससे तत्कालीन हिन्दी साहित्य पर उक्त दोनों भाषामों का प्रभाव झलकसा है। अलंकारिक भाषा न होते हुए भी उदाहरणों के प्रयोग से रचना सुन्दर बन गयी है। ४. भट्टारक शुभचन्द्र शुभचन्द्र भट्टारक विजयकीति के शिष्य थे। वे अपने समय के प्रसिद्ध भट्टारक, साहित्य प्रेमी, धर्म प्रचारक एवं शास्त्रों के प्रबल विद्वान थे। इनका जन्म संवत् १५३०-४० के मध्य हुमा था। जब वे बालक थे तभी इनका भट्टारकों से सम्पर्क हो गया। पहले इन्होंने संस्कृत एवं प्राकृत के ग्रन्थों का गहन अध्ययन किया। तत्पश्चात् व्याकरण एवं छन्द शास्त्र में निपुणता प्राप्त की। संवत् १५७३ में ये भट्टारक के सम्माननीय पद पर प्रासीन हो गये । इनकी कीति धीरे-धीरे देश में फैल गयी। ये राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब एवं उत्तर प्रदेश सभी प्रदेशों में लोकप्रिय बन गये। ये वक्तृत्व कला में पटु तथा भाकर्षक व्यक्तित्व वाले सन्त थे । इन्होंने जो साहित्य सेवा की थी वह अभूतपूर्व एवं अद्वितीय है। भट्टारक के उत्तरदायित्व एवं सम्माननीय पद पर होते हुए भी इनका विशाल साहित्य सर्जन अनुकरणीय है। शुभचन्द्र ४० वर्षों तक भट्टारक पद पर रहे । चालीस वर्षों में इन्होंने संस्कृत की ४० रचनाएं एवं हिन्दी की ७ रचनाओं का सर्जन किया। हिन्दी रचनाओं में "तत्वसार दुहा", "दान छन्द", "गुरु छन्द", "महावीर छन्द, नेमिनाथ छन्द, विजयकीनि छन्द एवं अष्टालिका गीत के नाम उल्लेखनीय हैं। तत्वसार दूहा के अतिरिक्त सभी सध कृतियां हैं। तत्वसार हा सैद्धान्तिक रचना है, जो जैन सिद्धान्त पर आधारित है । इसमें ६१ है हैं। इसे धावक दुलहा के मनुरोष से लिखा था । महावीर छन्द में २० पद्य हैं, इसी तरह विजयकीर्ति छन्द में २६ पद्य है । गुरु छन्द
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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