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________________ २६० कविवर बूच राज एवं उनके समकालीन कवि उसी के विकृत बर्णन में भी वह अपनी योग्यता प्रस्तुत करता है। जहां एक पोर वह प्रकृति वर्णन में पाठकों का मन मोहता है तो दूसरी पोर घटना विशेष का वर्णन करके पाठकों के हृदय को द्रवित कर बैठता है। कथा के एक प्रमुख पात्र हैं भावानन्द जिनके कारण ही साम कथा स्रोत बहता है। उसी मैरवा नन्द का जब कषि वर्णन करने लगता है तो वह स्वयं भैरवानन्द बनकर लिखने लगता है। उसकी दीर्घ अटाएँ हैं । शरीर पर भस्म रमा रखी है तथा कानों में मुद्रिका पहिन रखी है। भंग चढ़ा रखी है जिससे आंखें एवं मुम्न लाल प्रतीत होता है। रंग से वह गोरे हैं और पूणिमा के चन्द्रमा के समान सुन्दर लगते हैं। भस्म चढ़ाई मुद्राकान, मनही बूझ कई कहान । धौरह जटा पाप नग, नया धुलाव बंदन रंग । गौर वरण मनी पून्यो बंदु, प्रगट्यो नाम भैरबानन्दु ॥३१॥ कवि श्मशान का वर्णन करने में और भी चतुरता प्रकट करता है । मुनि अपने संघ के साथ श्मशान में जाकर विराजते हैं। एक ओर प्रमशान की भयानकता तो दूसरी पोर निग्रंथ मुनियों का वहीं ध्यानस्थ होना-किसना उत्तम संयोग है-- श्मशान का वर्णन करते हुए कवि लिखता है संग सहित मुनि गयो मसान, मरे लोग डहिहि जहि यान । मुड र दीसहि बहु पगे, कृमि कोसा लवि गघि घृण भरे ॥६०|| जंबुक सान गघि घर काग, व्यंतर भूत खपरिहा लाग ।। डाइनि रिवहि रुधिरु भरि चुरू, सूकै तरु वरि वास उरू ||६१॥ चिता बहुत पजनहि वो पास, घूमानलु ममि रह्यो प्रकास । नयननु देखत फट हियो, वैवस भवनु जनकु विहि कि यो ।।६२॥ इसी तरह कधि के देवी के वर्णन में वीभत्स रस के दर्शन होते हैं । उसके हाथ में विसूल है तथा वह सिंह पर मारुन है। गले में मुठ माला पहिने हुए है तथा उसकी जीभ बाहर निकले हुए है । प्रांखें लाल हो रही हैं। ऐसा लगता है मानों अग्नि की ज्वाला उसके शरीर से ही निकल रही हो । उस देवी का पूरा शरीर ही रुधिर से सना हुमा था तथा पूरे शरीर में सर्प होल रहे थे । ऐसे भयानक स्थान पर भी जब साघु पाते हैं तो उन्हें देखकर सभी नत. मस्तक हो जाते हैं । राजा मारिदत्त ने जब अभयरुचि भौर प्रभय मति को वहां देखा तो वह उनकी सुन्दरता पर मुग्ध हो गया
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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