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________________ गारवदास १८३ १३. यशोधर चरित्र श्रुतसागर क्षमाकल्याए १५ वीं शताब्दि सं १८३६ .लिन्यो राजस्थानी देवेन्द्र १५. यशोधर रास ब्रह्म जिनदास १६०. ० प्रथम वरण) १६. भट्टारक सोमकीर्ति " (चतुर्थं चरण) १७. यशोधर चरित सं० १६८३ १८. ॥ परिहानन्द सं० १६७० १६. यशोधर रास जिनहर्ष सं० १७४७ यशोधर चौपई प्युशालबन्द सं० १७८१ २१. अजयराज सं० १७६२ २२. यशोधर रास लोहट १८ वीं शताब्दि २३. यशोधर चरित्र मनसुखसागर सं० १९७८ २४. यशोधर रास सोमदत्त मूरि २५. , पन्नालाल सं० १९३२ इस प्रकार यशोधर के जीवन से सम्बन्धित राजस्थान के जैन ग्रन्थागारों में . २५ कृतियां प्राप्त हो चुकी हैं और अभी और भी कृतियां मिलने की सम्भावना है । उक्त सूची के आधार पर यह कहा जा सकता है कि गारवदास द्वारा यशोधर की कथा को काव्य रूप देने के पूर्व महाकवि पुष्पदन्त एवं रइधू ने अपना में, प्राचार्य सोमदेव सूरि, वादिराज, भट्टारक सकलकीति, भट्टारक सोमकीर्ति एवं विजयकोत्ति ने संस्कृत में तथा ब्रह्म जिनदास, भट्टारक सोमकीति में राजस्थानी भाषा में यशोघर के जीवन पर काव्य कृतियां निबद्ध की हैं। यद्यपि कवि मारवदास ने वादिराज के यशोधर चरित्र को अपने काव्य का मुख्य भाधार बनाया था लेकिन उसने यशोधर से सम्बन्धित रचनामों को भी अवश्य देखा होगा लेकिन स्वयं कवि ने इसका कोई उल्लेख नहीं किया है। मारवदास का यशोघर चरित ५३७ छन्दों का काव्य है । बह न सगरें में विभक्त है और न सन्धियों में । प्रारम्भ से अन्त तक कथा बिना किसी विराम के धारा प्रवाह चलती है और समाप्त होने पर ही विराम लेती है। इससे पता चलता है कि अधिकांश जैन कवियों ने कान्य रचना की जो शैली अपनायी थी उसका गारवदास ने भी प्रनुसरण किया । प्रस्तुत कृति यद्यपि हिन्दी भाषा की कृति है लेकिन कषि ने उसमें बीच-बीच में संस्कृत के श्लोकों एवं प्राकृत गायामों का प्रयोग
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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