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________________ चतुरूमल सो घनघोर वर्षा होगी । बिजली चमकेगी तथा मयूर एवं पपीहा की रट लगेगी। ऐसे दिनों में वह नेमि को छोड़कर कैसे जावेगी । मासोज एवं कार्तिक मास में परब चत होगी । सरोवर एवं नदियों में स्वच्छ जल भरा होगा । प्रकाश में चन्द्रमा भी निर्मल हो जावेगा । चारों पोर गीत एवं नस्य होंगे ऐसी ऋतु में नेमि बिना वह कैसे रह सकेगी। मंगसिर एवं पोष में खूब सर्दी पड़ेगी। शरीर में काम रूपी अग्नि जलेगी। घर घर में सभी मस्ती में रहेंगे लेकिन नेमि के बिना वह किस घर में रहेगी पोर उसका हृदय पत्ते के समान कंपित होता रहेगा। एक मोर काली रात्रि फिर बर्फ का गिरना । लेकिन उसका मन तो पिया के बिना ही तरसता रहेगा। प्रघन पुषु प्रति सीत भपात, जादौ विपु व्यापे मंसाफ । काम पगिनि बहु पर जलु, घर घर सुख कर सब कोई । तुम दिन, इमहि कहा हैई. किन पाती । निसि प्रध्यारी पस्तु तुमार, काम लहरि अति हो पपार । यह मनु सरसे पीउ बिना, सब संसार कर प्रति भोग । राजल रट कर पोय सोगु, नेमि कुबर जिन वन्विहो ।।३०।। माष मोर फाल्गुण ऋतु में तो बसन्त की बहार रहेगी । सभी बसन्त का भानन्य लेंगे । कामनिया अपने प्रियतम के साथ विलास करेंगी। वे अपने प्रगों में चन्दन का लेप करेंगी तथा माथे पर तिलक भी करेंगो । घर घर बन्दनवार होंगी। राजुल भी ऐसी ऋतु में अपने पिया के साथ परिहास करना चाहती है तथा दिन में अपने कंत की सेवा करना चाहेगी । चत्र पोर वैशाख में सभी धनस्पतिया खिल जावेंगी। नन्दन वन के सभी पुष्प भी खिले होंगे । मौरे फलों का रस पीते होंगे । वन में कोयल कुह कुछ के प्रिय शाद सुनाई देगी । विरहिणी स्त्रियां अपने प्रिम के बिना तड़फती रहेंगी लेकिन यह स्वयं बिना नेमि के क्या करेगी। इसी तरह जेठ पोर पाषाक में गर्मी खूब पड़ेगी । सूर्य भी सपेगा । कुछ लोग पम्बन लगा कर गरीर को शीतल करेंगे । लू चलेगी। लेकिन उसे नो प्रिप के बिना और भी ऊष्णता सतावेगी। इसलिए वह रात्रि दिन नेमि पिया नाम की माला जप कर उनके शीतल वचनों को सुनती रहेगी । इस प्रकार राजुल बारह महिनों के विरह दुःख को नेमि के सामने रखती है और चाहती है कि विवाह न किया तो न सही किन्तु वह उनके घरणों में रहकर
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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