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________________ १३ चराज के गीत रागुदीपु न जाणो तिसु बेल को ने चेतनु रह्या लुभाई वे लाल । चित हमारी राजे परहरी मे सुद्ध तरि निवलाह वे लाल || अंतरि लिवलागी प्रारति भागी जाण्या थुलु निराला | लोका अवलोक सभे जिनि दीपे हूवा सहजि उजाला || निरमलु रसु पीवे जुग जुग जीवे जोतिहि जोति समाइये । न जाण्यो लिए गेल को वेतन के लाल ४१|| जिथी रूपन गंधरसो पयासु तिथि जाइ दे लाल । सरगुण विधानि गुण सिवावे किती हेति सभाइ बे लाल || किती सज्झाए चित्ति चाए आपनई सुखि थीए । रंग महि नित छे कहि न गछइ अमिय महारस पीए || जग जाइ सो उह सभु जो उनमनि रच्यो मनु लाइवे । जिथी रूपुन गंधर सोवे पया मुतिथी तु जावे लाल ||२|| घालता की वालहीये हो रती ते नालि वे लाल । दुख सुख किसी भोगवे वे संगि प्रनादी कालि दे लाल || संगि नादी काले विषी वाले जोवन देंगे वारे । जे जे सुखभाणे भाषी भारणे ते वचित्ति चितारे ॥ हम साथि विरच्या अवरे रच्या साकि न वाचा पालिये । वालत्तण की बालही वे हो रत्ती त नालि वे लाल ||३| जोया सोई सोहु बावे क्या अखाते नालिये लाल । पाली दरि जे बस रोवे जिवसर प्रदरि पालिने लाल || सर मंदरि पाले देख्नु निहाले प्रागमि ध्यातमि कहिया । जो परम निरंज सब दुख मंजस्यु हष जोगी सरि लहिया ॥ जंपति 'बूचा' गरु तरियं सागर सी बुद्धि संभालिवै । जोया सोई सौ हुवावे क्या खा नालि बे लाल || ४ || X X X ११३
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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