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________________ २२२ कातन्त्ररूपमाला तवर्गस्य षटवर्गादृवर्गः ॥११८ ।। तवर्गस्य षकारटवर्गाभ्यां परस्य टवों भवत्यान्तरतम्यात् । आचष्टे आचक्षाते आचक्षते । षढोः कः से ॥११९ ।। षढो: को भवति सकारे परे । आचक्षे आचक्षाथे। घुटां तृतीयश्चतुर्थेषु ॥१२० ।। धुटां तृतीयो भवति चतुर्थेषु परतः । ॐवर्णटवरषा मूर्द्धन्या इति न्यायात् धकारस्य डकारः । आचडढ्वे । आरक्षे आचश्वहे ! आचाहे । आचक्षीत आनक्षीयातां आचक्षीरन् । आधष्टां आचक्षातां आचक्षतां । आचक्ष्व आचक्षाथां आचड्ढवं । आवः आचक्षावहे आचक्षामहै। आचष्ट आचक्षातां आचक्षत । आचष्ठा; आचक्षाथां आचड्डवं । आवक्षि आचश्वहि आचक्ष्महि । चक्षङ् ख्याञ्॥१२१ ।। चक्षङ् इत्येतस्य ख्याआदेशो भवति असार्वधातुके परे । आख्यायते । ईश् ऐश्वर्ये । छशोश्च ॥१२२॥ छशोश्च षो भवति धुट्यन्ते । ईष्टे ईशाते ईशते । ईशः से ।।१२३॥ तवर्ग को षकार और टवर्ग से परे टवर्म हो जाता है ॥११८ ॥ अत: क्रम से 'आचष्टे' बना । अन्ते में सूत्र ७९ से नकार का लोप होकर आचक्ष + अते= आचक्षते बना। आचक् ष् से ककार का लोप करके आचष् से रहा। सकार के आने पर ष और ढ को 'क' हो जाता है ॥११९ ।। आचक् से 'नामिकरपरः' इत्यादि से क से परे स को ष होकर “कषयोगे क्ष:" नियम से क्ष हो गया अत: 'आचक्षे बना । आचक्षु ध्वे है । आचरू ध्वे है 'स्को: संयोगाद्योरन्ते च' ११७ सूत्र से ककार का लोप होकर। चतुर्थ अक्षर के आने पर धुट् को तृतीय अक्षर हो जाता है ॥१२० ॥ पुन: "ऋवर्णटवर्गरधामूर्धन्या" इस न्याय से षकार को "ड" हो गया। पुन: 'तवर्गस्य पटवर्गाट्टवर्ग:' सूत्र ११८वे से टवर्ग से परे तवर्ग को टवर्ग होने से 'आचइवे' बना। सप्तमी में आचक्षीत । पंचमी में-आवष्टां । ध्वं में 'आचड्ढ्वं' बना । हास्तनी में पूर्व में अट् का आगम होकर आङ् उपसर्ग मिलाने से वही । आ+ अचाष्ट = आचष्ट बना । थास् में आचष्ठाः, ध्वं में आचड्दवं बना। भाव कर्म में-चक्ष य ते है चक्षङ् को ख्याञ् आदेश हो जाता है असार्वधातुक के आने पर ॥१२१ ॥ आख्यायते बना। ईश् धातु ऐश्वर्य अर्थ में है। ईश् ते हैं। धुट् अंत में आने पर छ् और श को 'म्' हो जाता है ॥१२२ ॥ ११८वें सूत्र से तवर्ग को टवर्ग होकर 'ईष्टे' बना। ईश् से परे स आदि विभक्ति के आने पर इट् का आगम हो जाता है ॥१२३ ।।
SR No.090251
Book TitleKatantra Roopmala
Original Sutra AuthorSharvavarma Acharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages420
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size10 MB
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