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________________ १३० कातन्त्ररूपमाला (आदिलोपोऽन्त्यलोपच मध्यलोपस्तथैव च। विभक्तिपदवर्णात दश्यते शावत्रिक ॥१॥ अत् पञ्चम्यद्वित्वे ॥३५७ ।। एभ्यो युष्मदादिभ्यः परा अद्वित्वे वर्तमाना पञ्चम्यद् भवति । त्वत् । मत्। युवाभ्यां । आवाभ्यां । युष्मत् । अस्मत्। तव मम ङसि ॥३५८ ।। युष्मदस्मदोः सविभक्त्योस्तव मम इत्येतौ भवतो इसि परे । तब । मम । युवयोः । आवयोः । सामाकम् ॥३५९ ।। युष्मदादिभ्य: पर: सागमयुक्त आम् आकम् भवति । युष्माकं । अस्माकं । त्वयि । मयि । युवयोः । आवयोः । युष्मासु । अस्मासु । एवं नीतक । त्वं युवां यूयं । त्वां युवा युष्मान् । त्वया युवाभ्यां युष्माभिः । श्लोकार्य-शार्ववर्म आचार्य के व्याकरण में विभक्ति पद के वर्गों में आदि का लोप, अंत का लोप और कभी मध्य का लोप देखा जाता है ॥१॥ . युष्मद् आदि से परे द्विवचन रहित पंचमी विभक्ति को 'अद्' आदेश हो जाता है ॥३५७ ।। अत: स्वत् + अत्, मत् + अत्, रहा। उपर्युक्त श्लोक के आधार से त्वत्, मत् के त् का लोप होकर १३६वे सूत्र से 'त्व म' के अकार का लोप होकर 'त्वत् मत्' बना । ऐसे ही युष्मद् + ध्यस्, अस्मद् + भ्यस् है। भ्यस् को ३५७वे सूत्र से 'अत्' होकर ३५१वें सूत्र से युष्मद् के द् का लोप एवं १३६वें सूत्र से 'अ' का लोप होकर 'युष्मत्, अस्मत्' बना । युष्मद् + ङस्, अस्मद् + ङस् है। डस् विभक्ति के आने पर विभक्ति सहित युष्मद्, अस्मद् को तव, मम आदेश हो जाता है ॥३५८ ॥ अत: 'तव, मम' बना। युष्मद् + ओस्, अस्मद् + ओस है ‘युवावौ द्विवाचिषु' सूत्र से 'युव, आव' आदेश होकर "ओसि च" सूत्र से एकार होकर एवं संधि होकर 'युवयोः, आवयो:' बना । युष्मद् + आम्, अस्मद् + आम् युष्मद् आदि से परे आम् को सकार सहित 'आकम्' आदेश हो जाता है ॥३५९ ।। पुन: ३५१वें सूत्र से दकार का लोप होकर 'युष्माकम्, अस्माकम्' बन गया। युष्मद् + ङि, अस्मद् + डि है। 'त्वन्मदोरेकत्वे' सूत्र से 'त्वत्, मत्' होकर ३५१वें सूत्र से त्वत, मत् के अंत का लोप होकर ३५३वें सूत्र से अंत को एकार होकर संधि होकर त्वे + इ + इ = त्वयि, मयि बना । युष्मद् + सु, अस्मद् +सु ३५१वें सूत्र से दकार का लोप होकर ३५४वें सूत्र से आकार होकर 'युष्मासु, अस्मासु' बना।
SR No.090251
Book TitleKatantra Roopmala
Original Sutra AuthorSharvavarma Acharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages420
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size10 MB
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